सुदर्शन टुडे,अक्षय बालपांडे,पांढुरना
पांढुरना नगर की सड़कें रेत से लदे ओवरलोडेड डंपरों के बोझ से क्षतिग्रस्त परिवहन से क्षेत्र की प्रमुख सड़को पर जानलेवा गढ्ड़े तक बन रहे है वहीं इन डम्परों से कई दुर्घटनाएं घटित होने से कई लोग समय के पूर्व ही मौत के ग्राम बन चुके है। कई लोग विकलांग होकर नरकीय जिवन जीने पर मजबूर हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश शासन द्वारा इस सफेद रेत के काले कारोबार पर सख्ती से पांबदी लगाने लगाने के निर्देश देने चाहिए। लेकिन पांढुरना का प्रशासन इन माफियाओं पर ठोस कार्यवाही तो दूर खानापूर्ति वाली कार्यवाहीं तक नहीं करते हुए इन माफिया को खुली छूट दे रखी हैए 24 घंटे नगर के प्रमुख मार्गों के साथ ही गांव से होकर रेत का यह अवैध कारोबार निर्बाध रूप से खुलेआम किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस अवैध कारोबार के लिए प्रतिमाह मोटी रकम दक्षिणा के रूप में पहुंचाई जाती है।
मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत रेत । रेत यानि पीला सोना। चमकती रेत। जिसके बिना विकास के निर्माण की कल्पना अधूरी है। जिले में हो रहे निर्माण कार्य बिना रेत के संभव नहीं हैं। रेत नदी के पेट में मौजूद वो पीला सोना है, जिसके लिए रेत माफिया कोई भी पाप करने को तैयार हैं। रेत के अवैध ओवरलोड डंपर बेधड़क रोड पर दौड़ा रहे है रेत के इस अवैध काले करोबार में दुबकी लगाने वाले खनन विभाग के अफसर भी साठ गाठ करके मौन है जबकि माफिया की मनमानी पर रोक लगाने की जगह उन्हें बचकर निकल जाने का रास्ता इन्हीं अधिकारियों की ओर से दिया जाता है।
पांढुरना से अवैध रेत के 100 से 200 ओवरलोड डंपर रोज दौडते हैं और रेत माफिया रातों-रात अपराधी से राजा बन रहे हैं। अवैध रेत खनन से नदी के पेट में सैकड़ों की संख्या में मशीनें खुदाई के लिए उतारी जाती हैं। इसी अवैध खनन को लेकर माफिया गुटों में गोलीबारी होती है। कई जिंदगी सैकड़ों बार काल के गाल में समा जाती है। कुछ समय के लिए रेत के अवैध खनन पर बवाल मचता है। फिर, मामला शांत हो जाता है।
पीले सोने से निकली पाप की कहानी के भागीदार वो अधिकारी भी हैं
जिन पर अवैध खनन रोकने की जिम्मेदारी है। प्रसाशन और पुलिस की अनदेखी के कारण ओवरलोड ट्रक, डंपर, ट्रैक्टर ट्रॉली आदि वाहन सड़क पर सरपट दौड़ते हुए दुर्घटनाओं को वेलकम कर रहे हैं इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने से वाहन चालकों के हौसले बुलंद हैं प्रशासन और पुलिस को लाचार कार्यप्रणाली के चलते ओवर लोड रेत से भरे डंपर बेखौफ होकर क्षेत्र की सड़कों पर
दौड़ते नजर आ रहे हैं।
पांढुरना नगर की सीमा में प्रवेश करते ही चालक वाहनों की स्पीड बढ़ा देते हैं. तेज रफ्तार से गुजरने वाले रेत के यह वाहन अक्सर हादसों का कारण बन रहे हैं. रेत से भरे यह वाहन नगर व क्षेत्र की सड़कों से होकर महाराष्ट्र में भेजा जा रहा है लेकिन प्रशासन द्वारा इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिसके चलते डंपर ऑपरेटरों के हौसले बुलंद हो रहें हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण उनको भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
बिना ढके रेत का हो रहा परिवहन, नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां
बाल बाल बचा दसटायरा पांढुरना से जाते समय रेत से भरा डंपर में रेत लदे रहते है तिरपाल से ढके नहीं होते हैं जिससे रास्ते में चल रहे राहगीर साइकिल मोटरसाइकिल वाहन चालकों के आंखों में जाती हैं। पांढुरना जिला से महाराष्ट्र में रेत परिवहन करने वाले हाईवे और पांढुरना नगर से जाने वाली गाड़ियों में तिरपाल नहीं ढके होते हैं जिससे राहगीरों को परेशानी होती है। लेकिन प्रशासन मौन बना हुआ है ओर पालन नहीं किया जा रहा है। रेत ले जा रही गाड़ियों में तिरपाल नहीं होने से आंखों पर रेत कंकड़ पड़ जाते हैं जिससे दुर्घटनाएं की संभावना रहती है।
कुछ समझदार ट्रक चालक तिरपाल ढकते हैं लेकिन कई लोग बिल्कुल ही नहीं ढकते इन पर कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले बुलंद हैं। जिस पर दुपहिया वाहन स्लिप हो जाते हैं इसलिए ऐसे परिवहन करने वाली गाड़ियों की जांचकर उचित कार्यवाही करना अति आवश्यक है।