अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार जोधइया बाई बैगा को महिला दिवस पर मिलेगा राष्ट्रीय मातृशक्ति पुरस्कार
उमरिया 7 मार्च – उमरिया के ग्राम लोढा स्थित जनगण तस्वीर खाना आर्ट सेंटर की ख्यातिप्राप्त बैगा चित्रकार 82 वर्षीय बुजुर्ग जोधईया बाई को केंद्र सरकार द्वारा नारी शक्ति सम्मान पुरुष्कार के लिए चयन किया है । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को यह पुरुष्कार दिल्ली में प्रदान किया जाएगा । पुरुष्कार में 1 लाख रुपये नकद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। बैगा कला को जन्म देने वाली 82 वर्षीय जोधईया बाई ने 60 वर्ष की उम्र में पेंटिंग करना सीखा था और महज 10 सालों में दुनिया भर में अपनी कला के दम पर शोहरत अर्जित कर ली थी। जोधईया बाई के चित्रों की प्रादर्शनी, लंदन, अमेरिका, फ्रांस, इटली सहित कई देशों में लग चुकी है बीते वर्ष जोधईया बाई को पद्मश्री पुरुष्कार के लिए नामांकित भी किया गया था जोधईया बाई बैगा के जीवन का सफर बड़ा संघर्ष पूर्ण रहा है।
जोधइया बाई ने विलुप्त होती बैगिन चित्रकला को एक बार फिर जीवित कर दिया है। जिस बड़ादेव और बघासुर के चित्र कभी बैगाओं के घरों की दीवार पर सजते थे वे अब दिखाई नहीं देते और न ही उन्हें नई पीढ़ी के बैगा जानते हैं। उन्हीं चित्रों को जब जोधइया ने कैनवास और ड्राइंग शीट पर आधुनिक रंगों से उकेरना शुरू किया तो बैगा जनजाति की यह कला एक बार फिर जीवित हो उठी।
जोधइया बाई के जीवन की कथा भी दुखों से भरी है। जब उनसे उनके बारे में पूछा जाता है। आंखें छलकती नहीं हैं, लेकिन हर समय समुद्र की तरह लबालब रहती हैं। वे बताती हैं कि केवल 30 साल की उम्र में पति का साया सिर से उठ गया और बच्चों को पालने के लिए मजदूरी ही एक रास्ता बचा। पति की मौत के बाद जोधइया ने माटी-गारे का काम किया। जंगल में हिंसक जानवरों के बीच चारा काटा। बड़े लोगों के खेतों में मजदूरी की। जोधइया बैगा ने कभी स्कूल का मुंह भी नहीं देखा था इसलिए उनके लिए इस तरह की मजदूरी ही अपना व अपने बच्चों के पेट पालने का साधन रही।
शांति निकेतन विश्वभारती विश्वविद्यालय, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, आदिरंग कार्यक्रम में शामिल हुईं और सम्मानित हुईं। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय भोपाल में जोधइया बाई के नाम से एक स्थाई दीवार बनी हुई है जिस पर इनके बनाए हुए चित्र हैं। प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान न सिर्फ जोधइया बाई को सम्मानित कर चुके हैं बल्कि वे उनसे मिलने के लिए लोढ़ा के उनके कर्मस्थल तक भी पहुंच गए थे। अमेरिका और जर्मनी के कला के कद्रदान जोधइया बाई के लोकचित्रों को ले जा चुके हैं।
बैगा आदिवासी चित्रकार जोधइया बाई का नाम जिला प्रशासन द्वारा पद्म श्री आवार्ड के लिए नामांकित किया जा चुका है। उनके द्वारा बनाई गई पेटिंग राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले आयोजनों में प्रदर्शित की जाती है। वर्ष 2014 आदिवासी संग्राहलय भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता, वर्ष 2015 में भारत भवन भोपाल मे आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता, वर्ष 2020 में एलियांस फांस में पेटिंग्स का प्रदर्शन, वर्ष 2017 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्राहलय भोपाल द्वारा केरल में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता , वर्ष 2018 में शांति निकेतन पश्चिम बंगाल मेे पेटिंग्स का प्रदर्शन, वर्ष 2020 में आईएमए फाउण्डेशन लंदन द्वारा बिहार संग्राहलय पटना में सहभागिता एवं सम्मान तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2016 में उमरिया मे आयोजित विंन्ध्य मैकल उत्सव उमरिया में सम्मानित किया गया। इसी तरह इनका राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय परंपरागत आर्ट गैलरी के आयोजन में मिलान इटली में फांस में पेरिस शहर मे आयोजित आर्ट गैलरी में तथा इंग्लैण्ड, अमेरिका एवं जापान आदि देशों में इनके द्वारा बनाई गई बैगा जन जाति की परंपरागत पेटिंग्स की प्रदर्शनी लग चुकी है।
जोधईया बाई द्वारा विगत 10 दस वर्षाे में तैयार की गई पेंटंग्स के विषय पुरानी भारतीय पंरपरा में देवलोक की परिकल्पना, भगवान शिव तथा बाघ पर आधारित पेटिंग जिसमें पर्यावरण एवं वन्य जीव के महत्व को प्रदर्शित किया जाता है। इसके साथ ही बैगा जन जाति की संस्कृति पर अधारित पेंटिंग्स विदेशियों द्वारा खूब सराही जाती है। जोधइया बाई नई पीढी के लिए रोल माडल बन चुकी है। इस आयु में भी वे पूरी सक्रियता के साथ सहभागिता निभाती है। उनकी चित्रकारी को उनके गुरू स्व आशीष स्वामी ने तराशनें का काम किया।