व्यापारियों, कर सलाहकार और टैक्स अभिभाषको को जीएसटी कार्रवाई से बचाव के दिए टिप्स
सुदर्शन टुडे ब्यूरो लुकमान खत्री
खरगोन। एक समय था जब वेट टैक्स के दौरान व्यापारी अपने दस्तावेज सीए को देकर चैन की नींद सोता था, लेकिन जीएसटी में ऐसा नही है। रिर्टन फाईल करने तक कर सलाहकार सहित व्यापारी की नींद भी उड़ी हुई रहती है। वेट में हर साल असिस्मेंट होता था, लेकिन जीएसटी में ऐसा नही है। यह पहला एक्ट है, जिसमें में भी ना साऊं तु भी न सोए यह बात रविवार को राधाकुंज मांगलिक परिसर में टेक्स अभिभाषक संघ एवं शहर चेम्बर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला के दौरान जीएसटी विशेषज्ञ एडवोकेट अमित दवे ने कही। उन्होंने जीएसटी के नये प्रावधान, सर्वे, सर्च के साथ ही जीएसटी में व्याप्त जटिलता, कठिनाइयों, पोर्टल सम्बन्धित संबंधी विषयों को लेकर सरल भाषा में उदाहरण के माध्यम से व्यापारियों को इनके समुचित समाधान भी बताए। आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि पहली बार टैक्स अभिभाषक, कर सलाहकार और व्यापारी एक मंच पर आए है.चेंबर ऑफ कॉमर्स अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि जीएसटी सहित कई कानून ऐसे है जो विदेशों की कॉपी है, सरकार ने भी जीएसटी लागू तो कर दिया लेकिन वह खुद भी आज तक इसकी बारीकियों, खामियों को नही जान पाई, यही कारण है कि जीएसटी आने के बाद से करीब 1 हजार संशोधन हो चुके हैं, इसके बाद भी यह जटिल से जटिल होता जा रहा है। सरकार केवल इसलिए खुश है, व्यापारियों की बात सुनने को तैयार नही।