बदनावर। जिस व्यक्ति पर भगवान द्वारकाधीश की कृपा हो जाती है। उसे दुनिया के सहयोग की आवश्यकता नही होती। दुनिया उसे सम्मान की नजर से देखती है। भगवान की कृपा हो तो गूंगा बोल उठता है मुर्दा खड़ा हो जाता है। 18 पुराण का सार नानीबाई की कथा में है। यह कथा भक्त और भगवान के बीच प्रेम एवं विश्वास की कथा है। यदि भगवान के प्रति आपके मन में सच्ची श्रद्धा है तो निश्चित समझिए भगवान जिस प्रकार नानीबाई का मायरा भरने के लिए गए थे । वैसे ही आपके दुख दूर करने के लिए भी आएंगे, पर आपका विश्वास अटूट होना चाहिए। उक्त बात कथावचक पं रमेशचंद्र अग्निहोत्री ने श्री बैजनाथ महादेव मंदिर पर संस्था सृजन द्वारा आयोजित नानी बाई का मायरा एवं रुक्मणी मंगल की कथा में प्रथम दिवस कही।
सर्वप्रथम आचार्य अग्निहोत्री ने बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर पर पूजन पाठ एवं पुष्प अर्पण किया । इसके बाद व्यास पीठ से कथा की शुरुआत की। बदनावर की पावन धरा श्री बैजनाथ महादेव के नाम से पहचानी जाती है यहां पर 100 वर्षों से अधिक मेला लगते हो गया है। बाबा की कृपा से मेले में आज तक कभी विघ्न नहीं आया । नरसी मेहता ने ऐसी कौन सी भक्ति की थी कि भगवान द्वारकाधीश को उनके यहां मायरा लेकर आना पड़ा, नरसी मेहता बड़े ही धनवान हुआ करते थे 14 करोड़ के संपत्ति उन्होंने साधु संत एवं गरीबों में दान कर दी थी। एक समय ऐसा भी आया के उनके यहां खाने के लाले पड़ गए थे। पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। प्रथमदिवस की कथा में नरसी मेहता के विवाह का वर्णन सुनाया। नरसी मेहता के घर पुत्री नानीबाई, एवं पुत्र राम का जन्म हुआ। बाद में नानी बाई का विवाह जूनागढ़ निवासि रंग जी के यह हुआ।दान देने से धन घटता नहीं हमेशा बढ़ता है अग्निहोत्री ने कहा कि दान देने से धन की कमी नहीं आती यह कभी घटता भी नहीं है। नरसी मेहता ने 14 करोड़ साधु संतों में बाट दिए, भगवान ने चार गुना 56 करोड़ देकर चुकाया। मंदिर निर्माण गौशाला यज्ञ आदि पर दान करते हैं तो भगवान आपको कई गुना लोटाता हैं। जो धन संपत्ति आपके पास है वह सब कुछ द्वारकाधीश का दिया हुआ है। आप खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाना है। इसिलिए दान देने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए दिया दान दुख में आए काम।प्रथम दिन की कथा में हजारों लोग कथा सुनने पहुंचे प्रथम दिवस की कथा में पंडाल में हजारों की संख्या में कथा सुनने वाले पहुंचे। पूरा पंडाल श्रोताओं से लबालब भर गया। संस्था अध्यक्ष राकेश सिंह चौहान, एवं सचित बाहेती ने बताया कि प्रथम दिवस अनुमान से अधिक श्रद्धालु कथा सुनने के लिए पहुंचे। बैजनाथ महादेव मंदिर को लाइट लगाकर सजाया गया। पंडाल में 5:30 से रात्रि 11 तक एंबुलेंस एवं डॉक्टर उपचार के लिए मौजूद रहे । श्रद्धालुओं के बैठने के लिए पंडाल में गादी, 6 बड़े जंबो कूलर एवं आरो का ठंडा पानी की व्यवस्था संस्था द्वारा की गई है। वही कथा मैं आने जाने के लिए आईजी पब्लिक स्कूल गिरधारी लाल सिर्वी द्वारा दो निशुल्क बस की व्यवस्था की गई। शुरुआत मैं 6 जोड़ों ने पूजन का लाभ लिया। प्रसाद दिलीप सिंह चौहान की और से रखी गई। माहेश्वरी महिला मंडल द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।