शासन के डेढ़ करोड़ खर्च , डेढ़ दर्जन हितग्राही भी नही ले रहे लाभ जिम्मेदार कौन ?
भैंसदेही/मनीष राठौर
मुख्यमंत्री आवास बीएलसी योजना के तहत उन तमाम भूमिहीन परिवारों को भूमि आवंटित कर खुद का आवास हो और सरकार की योजना का पात्र परिवारों को इसका लाभ मिल सके। जिसमे एक पात्र लाभार्थी को अपना घर बनाने के लिए सरकार से भूमि के साथ 2.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। जिससे कि वह स्वयं के आवास का सपना पूरा सके। PMAY-U दिशानिर्देश एक लाभार्थी परिवार को “पति, पत्नी और अविवाहित [बेटे और/या अविवाहित बेटियों]” वाले परिवार के रूप में परिभाषित किया जाता हैं। बता दे कि रोटी, कपड़ा और मकान को जीवन की मूलभूत आवश्यकता माना गया है। इसी आवश्यकता में मकान की जरुरत को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने राज्य के सभी भूमिहीन परिवारों को मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के तहत मुफ्त प्लाट देने की घोषणा कर। गरीब लोगो का भी अपने घर में रहने का सपना पूरा हो सकेगा। सरकार द्वारा Awasiya Bhu-Adhikar Yojana के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोग जो की भूमि न होने की वजह से अपने घर का सिर्फ सपना देखते है। उनके सपनो को पूरा करने के उद्देश्य से इस योजना को प्रारम्भ किया गया है।
2018-19 में बनी आवासीय कालोनी आज भी पड़ी है सुनी
मुख्यमंत्री आवास योजना शहरी 2018-19 योजना बीएलसी के तहत नगर परिषद भैंसदेही द्वारा भूमिहीन पात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ दिलाने एवं शासन की योजना को हर पात्र हितग्राहियों तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर।प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन जनप्रतिनिधि एवं तत्कालीन सीएमओ द्वारा लगभग 63 हितग्राहियों का चयन कर नियमानुसार भूमिहीन परिवारों को योजना का लाभ दिलवाकर आवास उपलब्ध कराए गए। जो की निर्माण के बाद से वर्तमान समय तक भी वर्तमान नगर परिषद के जनप्रतिनिधि एवं सीएमओ की उदासीनता के चलते खंडहर में तब्दील होते नजर आ रहे हैं। भाजपा सरकार की यह सबसे बड़ी और प्रचलित योजना कई सवाल खड़े करते नजर आ रही है कि आखिर जिन हितग्राहियों को योजना का लाभ दिया गया है वह हितग्राही निर्माण पूरा होने के बाद भी इन आवासों का लाभ क्यो नहीं ले रहे। आखिर क्यों खंडहर में तब्दील होने दिया जा रहा शासन की योजना को। तमाम पात्र हितग्राहि निर्मित आवासों में रहने से दूरियां क्यों बना रहे। वर्तमान नगर परिषद के जनप्रतिनिधि एवं सीएमओ शासन की योजना पर उदासीन क्यो।
खंडहर में तब्दील हो रहे निर्मानित आवास
विभागीय जानकारी में सामने आया कि नगर परिषद द्वारा लगभग 63 भूमिहीन पात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ दिलाने के लिए अहम भूमिका निभाते हुए पात्र हितग्राहियों को इसका लाभ दिलाया गया। पात्र हितग्राहियों के खाते में शासन की राशि नियमानुसार पहुंचाने के बाद आवासों का निर्माण भी कराया गया। परंतु बता दे कि अब इन आवासों में डेढ़ दर्जन हितग्राही भी रहते नजर नहीं आते। जबकि शासन में लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की राशि इन तमाम पात्र हितग्राहियों पर खर्च की है। निर्माणित कॉलोनी पर नजर डाले तो देखने मे आता है कि 8 से 10 परिवार ही कॉलोनी निवासरत है । एव 5 से अधिक आवास वर्तमान समय में भी पूरे नहीं हो पाए। तथा 40 से 45 आवास जो पूर्ण हो चुके हैं वह अब खंडहर बनने को मजबूर है। इस बातों की जानकारी होने के बाद भी सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि एवं परिषद के अधिकारी दूरियां बनाने का प्रयास कर रहे हैं। मंशा चाहे जो भी परन्तु सरकार की इतनी बड़ी योजना को खंडहर में तब्दील करवाने के पीछे मकसद क्या। आखिर सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि अपनी ही सरकार की योजना पर ध्यान आकर्षित क्यो नही कर रहे।
कितने हितग्राही डकार गए शासन की राशि
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर सामने आया कि मुख्यमंत्री आवास योजना शहरी बीएलसी के तहत बने आवासों में रहने वाले परिवारों में कुछ लोगो ने नगर परिषद में मूलभूत सुविधाओं को लेकर आवेदन भी दिए थे। जिसके बाद तत्काल सीएमओ द्वारा कुछ दिनों पहले निरीक्षण भी किया गया था। और कुछ प्रतिवेदन भी तैयार किये गए। जिसमे निर्माणित आवास , अधूरे पड़े आवास एव राशि देने के बाद भी आवास नही बनाने वालों की अलग अलग जानकारी एकत्रित करने की बात सामने आ रही है। जिसमे यह भी सामने आया कि कुछ ऐसे भी हितग्राही है। जिन्हें शासन की योजना का लाभ प्रथम किश्त के रूप में एक-एक लाख रुपये हितग्राहियों के खातों में डाले गए थे। परन्तु लाभ मिलने के बाद भी वर्तमान समय तक उनके द्वारा आवास नही बनाये गए एवं शासन की राशि को डकार गए हैं। ऐसे हितग्राहियों का चयन कर परिषद द्वारा उन पर नियमानुसार कार्रवाई का मन बना रही है। हालांकि वह कौन और कितने हितग्राही है उनकी जानकारी अभी सामने नही आई हैं। साथ ही उनसे राशि की वसूली कर शासन के खाते में वापिस जमा करवाने य्या आवास निर्माण प्रारम्भ करवाने की बात सामने आयी हैं। साथ ही जो लाभार्थी निर्माणित आवासों में रहने से इनकार करते हैं। ऐसे लोगों से आवास सरेंडर करवाकर अन्य पात्र परिवारों को इस योजना का लाभ दिलवाने की जानकारी भी सामने आ रही हैं।जिससे कि पात्र परिवारों को इसका लाभ मिल सके एवं शासन की जो मनसा है वह पूरी हो सके। परन्तु सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों का उक्त योजना पर उदासीन रैवय्या देखने को मिल रहा है।
इनका कहना है
वहां पानी की व्यवस्था नहीं है व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है कुछ लाभार्थी निवासरत भी है और जो लोग लाभ लेने के बाद भी निवासरत नहीं होना चाह रहे हैं उनसे आवास सरेंडर करवाकर जरूरतमंद पात्र हितग्राहियों को देने की कार्रवाई की जाएंगी। जिन्हें राशि मिलने के बाद भी आवास का निर्माण प्रारंभ नहीं किया गया है उन्हें भी नोटिस जारी किए जाएंगे।
आशुतोष राठौर
सभापति लोक निर्माण विभाग
सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों ने इस पर ध्यान देना चाहिए। योजनाओं का ढिंढोरा पीटने से कुछ नही होता।जमीनी स्तर पर भी देखना चाहिए। की उनकी योजनाएं किस हालात में पड़ी है।
महेश धोटेकर
कांग्रेस पर्षद वार्ड नं 13
शासन की मंशा के अनुरूप पात्र हितग्राहियों का चयन कर योजना का लाभ दिया गया था।जिसमे हितग्राही को लाभ लेते समय बहुत उत्तशुकता थी। परन्तु अब रहने के लिए कोई उत्सुकता नजर नही आ रही। जो गलत है। हितग्राहियों ने लाभ लिया है तो वहां रहने भी जाना चाहिए। जिससे कि योजना को पूर्ण सफलता मिल सके। परंतु देखने में आया कि ऐसा नहीं हो रहा है। जिसके चलते निर्माणित आवास खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं।
ब्रह्मदेव कुबड़े
पार्षद वार्ड नं 9