अभी तीन माह पहले जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने फरार आरोपी का बारह बोर का शस्त्र लायसेन्स भी किया जारी
रायसेन। सामान्य वन मण्डल रायसेन के तहत पूरब वनरेंज हैं कि सर्किल के तहत 20 जून वर्ष 2009 को सांचेत निवासी ज्ञान सिंह पिता भैरों सिंह लोधी,भागचंद पिता मूलचंद काछी और कल्याण सिंह लोधी पिता गणेश राम द्वारा सांचेत और बिशनखेड़ा के बीच रात्रि ढाई बजे खेत में उक्त तीनों आरोपियों ने मिलजुलकर भरमार बंदूक की मदद से काले हिरण का शिकार किया था।इसके बाद तत्कालीन वनरेंजर रवि खुड़े ने काले हिरण के शिकार के मामले से जुड़े शिकारियों की तस्दीक कराने के लिए तत्कालीन डिप्टी रेंजर परमानंद अहिरवार, फारेस्ट गार्ड सुरेंद्र शुक्ला और मोहम्मद ताहिर खान को मौके पर 21 जून 2009 को भेजा।इन वनकर्मियों ने नकतरा पुलिस चौकी के अधिकारियों पुलिस कर्मियों की सहायता से शिकारी भागचंद काछी और ज्ञान सिंह बगैरह के कब्जे से भरमार बंदूक जब्त कर उक्त तीनों शिकारियों का पीओआर क्रमांक 24303/4 काटते हुए धारा 2,9,39,51 वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत केस रजिस्टर्ड कर कोर्ट में अभियोग पत्र दाखिल किया गया।इस तरह पिछले 14 सालों से कल्याण सिंह लोधी पिता गणेश राम निवासी सांचेत तहसील रायसेन में रायसेन कोर्ट से फरार घोषित हैं।वह एक बार भी अपनी तरफ से सफाई पेश करने रायसेन अदालत में हाजिर नहीं हुए हैं।वर्ष 2009 से कोर्ट के रिकार्ड में फरार चल रहे हैं।
शिकारी ने फरारी में सरपंच का चुनाव लड़ा…. और जीता भी
काले हिरण के शिकार के मामले में आरोपी कल्याण सिंह लोधी ने सांचेत पंचायत में सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा और वह विजयी निर्वाचित घोषित किए गए। वह रायसेन जिले के मंत्री और भाजपा संगठन के एक प्रमुख पदाधिकारी के चहेतों में गिने जाते हैं।इसके बाद लगभग ढाई से 3 महीने पूर्व मंत्री और संगठन के पदाधिकारी की मदद और संरक्षण होने की बदौलत वह शस्त्र लाइसेंस बनवाने में कामयाब हो गया है।सारे मामले में आश्चर्य की बात तो यह है कि तहसील एसडीएम और वन मण्डल कार्यालय रायसेन के अधिकारियों सहित जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों द्वारा बिना पुलिस वेरिफिकेशन के शस्त्र लाइसेंस बनाने किस आधार पर दागी सरपंच कल्याण सिंह लोधी को क्लीन चिट कैसे दे दी जो कि जांच पड़ताल का विषय है।इस तरह तो कई दागियों के बंदूक के सस्त्र लाइसेंस जारी हो चुके हैं। वास्तव में यह मामला बड़ा पेंचीदा भी लग रहा है।