सुदर्शन टुडे संवाददाता महेश्वर तहसील लोकेश केवट
मंडलेश्वर(निप्र)पर्यावरण के प्रति हमारी निरंतर सजगता ही शाश्वत विकास की राह आसान करेगी–
शासकीय महाविद्यालय मंडलेश्वर में दिनांक 29 अप्रैल को जीवन संरक्षण भारतीय सनातन संस्कृति एवं पर्यावरण विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया| पर्यावरण से तात्पर्य संस्कृति, जीवनचर्या और मानव सेवा से हैं। पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन राष्ट्र भक्ति है। हमने विकास के मार्ग को शाश्वत विकास की अवधारणा से अलग-थलग कर दिया है। जबकि वैश्विक चिंता शाश्वत विकास की है। यह हमारे लिए चिंता से अधिक चिंतन करने का विषय है। यह बात डॉ. शैलेंद्र शर्मा (मुख्या वक्ता) ने कही। विश्व के सबसे बड़े कचरे का पहाड़ देश की राजधानी में होना चिंतनीय है। पिछले तीन सौ वर्षों में प्रदूषण का प्रभाव बढ़ा है। हमें पर्यावरणीय असंतुलन को ठीक करने की जरूरत है यदि हम अपनी और आने वाली पीढ़ी को जीने लायक परिवेश प्रदान करना चाहते हैं। भारत में प्रतिमिनट दस लाख प्लास्टिक बोतलें बनाई जाती हैं। सीपीडब्ल्यूडी के अनुसार केवल सत्तर प्रतिशत का ही रियूज हो पाता है।