सुदर्शन, टूडे न्यूज ब्यूरो चीफ खरगोन
खरगोन शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में सोमवार को विश्व बैंक के अंतर्गत प्राचार्य डॉ. आरएस देवडा के मार्गदर्शन में पर्यावरण संरक्षण विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के पर्यावरणबिद डॉ. अनिता सोंलकी भेरूलाल पाटीदार शासकीय स्नायतकोत्तर महाविद्यालय महू द्वारा पर्यावरण संरक्षण की समस्या और महत्व पर उन्होने कहा की विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये अविष्कारों की स्परर्धा के कारण आज का मानव प्रकृति पर पूर्णतया विजय प्राप्त् करना चाहता है। इस कारण प्रकृति का संतुलन निरंतर बिगड रहा है। दूसरी ओर धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण के कारण तीव्र गति से जहॉ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रांे को समाप्त किया जा रहा है। वहीं प्रगति की दौड में आज का मानव इतना अंधा हो गया है कि वह अपनी सुख सुविधाओं के लिए कुछ भी करने को तैयार है। पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ संबंध है। प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है।जल, वायु व भूमि को प्रदूषण से बचाकर संरक्षण के उपायों को अपनाएंइस स्थिति को ध्यान में रखकर पहला शिखर सम्मेलन 1972, में स्टॉकहोम स्वीडन में, दूसरा 1982 में नैरोबी केन्या में, तीसरा 1992 में रियो डी जनेरियो ब्राजील में और चौथा जोहान्सबर्ग दक्षिण अफ्रीका में 2002 में आयोजित किया गया था। अर्थ रियो प्लस 20 शिखर सम्मेलन भी 2012 में रियो डी जनेरियो में आयोजित किया गया था। डॉ. शैल जोशी ने बताया के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए सबसे पहली अपनी मुख्य जरूरत जल, वायु, भूमि को प्रदूषण से बचाकर उनके संरक्षण के उपायों को अपनाना होगा। डॉ. संध्या बटवे ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव है जो अति घातक है, जैसे आणविक विस्फोटों से रेडियोधर्मिता का अनुवांशिक प्रभाव, वायुमण्डल का तापमान बढना, ओजोन परत की हानि, भूक्षरण आदि ऐसे घातक दुष्प्रभाव है। इनको बचाने के लिए हमें अपने-अपने घर से ही प्रयास करने होंगे। साथ ही आने वाली पीढी के लिए भी हमें अपने पर्यावरण को सहजना होगा। कार्यक्रम में डॉ. जीआर मसार, डॉ. डीएस बामनीया, डॉ. ललित भटानिया, प्रो. संतोष दवाडे, प्रो. दीपमाला मंसारे एवं समस्त महाविद्यालय परिवार के सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविन्द्र रावल ने एवं आभार डॉ. केएस बघेल द्वारा व्यक्त किया गया।