Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

फर्जी सिम मामले में शिकायत भी झूठी शिकायतकर्ता भी झूठा ?

सुदर्शन टुडे भास्कर पाण्डेय

जिले में इन दिनों पत्रकारों की नजर से एक बड़ा मसला चल रहा है वह यह कि फर्जी सिम का उपयोग किए जाने का l इसको लेकर जिले के कुछ पत्रकार इसे कुछ इस तरह तूल दे रहे हैं मानो आतंकी हमला हो गया हो l पत्रकारों को भी इतनी समझ तो होगी ही कि सिम कैसे लिया जाता है l सिम लेने केवाईसी के साथ ही साथ उस व्यक्ति की जीवित फोटो लेने के बाद ही मोबाइल कंपनियों के सॉफ्टवेयर सिम जारी करता है l डिंडोरी कोतवाली में एफ आई आर नंबर 0013 दिनांक 4 /1/ 2022 के अनुसार सुखदेव मरावी पिता हैंम सिंह मरावी उम्र 22 वर्ष ग्राम धबाडूंगरी थाना गाढ़ासरई स्वयं उपस्थित होकर एक टाइप सुधा आवेदन इस आशय में पेश किया कि उसके आधार कार्ड व फोटो का उपयोग करके किसी अज्ञात व्यक्ति ने फर्जी तरीके से प्रतिरूपण कर उसके नाम की सिम बनाकर उपयोग कर रहा है l आवेदन के अवलोकन से अपराध धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा छल) का पाए जाने से अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध अपराध कायम कर विवेचना में लिया गया l कोतवाली में दिए गए आवेदन मैं आगे लिखा है कि 3 मार्च को मेरा पर्स डिंडोरी में गुम हो गया था जिसमें मेरा आधार कार्ड एवं फोटो रखी थी जिसका किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा मेरी बिना अनुमति एवं जानकारी के फर्जी तरीके से सिम बनाकर उपयोग कर रहा है रिपोर्ट करता हूं कार्यवाही की जाए l जिस व्यक्ति का पर्स गुम गया हो और उसमें कीमती सामान रखा हो क्या उसके द्वारा थाने में इसकी सूचना दी गई ? कहीं ऐसा तो नहीं कि सब कुछ किया धरा इसी का हो और आज यह झूठी शिकायत कर रहा है l वहीं पुलिस ने जब उस नंबर की पूरी डिटेल निकाली तो पुलिस को यह भी पता होगा की सिम कैसे ली गई और किस प्रक्रिया के तहत सिम चालू होती है l पुलिस द्वारा सिम देने वाले कंपनी के एजेंट या कर्मचारी को भी बुला कर बयान लिया गया है उन्होंने बताया कि जिस आदमी के नाम यह सिम है वही व्यक्ति केवाईसी लाकर वह अपनी फोटो खिंचवा कर सिम ले गया है l उन्होंने यह भी बताया कि आधार कार्ड में जिस व्यक्ति की फोटो है वही व्यक्ति सिम लेने आने पर उसी व्यक्ति की जीवित अवस्था में फोटो खींचती है हमारा सॉफ्टवेयर ऐसा है कि जिस व्यक्ति की फोटो खींची जानी है जब तक वह पलक नहीं झपकाऐगा तब तक उसकी फोटो नहीं खींचेगी और फोटो नहीं खींचेगी तो सिम चालू नहीं होगी l इससे साफ जाहिर होता है कि सिम लेने वाला और शिकायतकर्ता दोनों एक ही है l जो पता नहीं किसके कहने पर झूठी शिकायत दर्ज करा रहा है l जिसकी झूठी शिकायत पर क्या पुलिस ने भी मामला पंजीबद्ध कर लिया ? जबकि झूठी शिकायत करने को लेकर सुखदेव मरावी पर ही मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए था l एक कहानी को लेकर जिले के कुछ पत्रकार कुछ इस तरह सक्रिय हैं मानो जिले में कुछ बहुत बड़ा हो गया हूं या पत्रकार भी प्रायोजित हैं ? कंपनी के एजेंट या कर्मचारी द्वारा बताई गई बातें यदि सही है तो यह एफआईआरबी झूठी है और शिकायतकर्ता भी झूठा है कुल मिलाकर कहीं ऐसा तो नहीं कि इस पूरे मामले को लेकर कोई तो ऐसा है जो इसे प्रायोजित कर रहा है? अब देखना यह है कि पुलिस इस मामले को कहां तक ले जाती है अब गेंद पुलिस के पाले में है क्या गोल होगा यह तो समय के साथ ही पता चल पाएगा l पुलिस को ही पत्रकारों को बताना चाहिए कि सिम फर्जी नहीं है सिम तो कंपनी की ही

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