मथुरा- जनता में कौतूहल था कि कोई भी अधिकारी हो अथवा राजनेता जब भी मथुरा वृंदावन गोवर्धन चाहे तैनाती पर हों अथवा राजनैतिक भृमण या निजी कार्यक्रम में आते हैं तो व्यापार मंडल के पदाधिकारियों का दल और पदाधिकारी माला दुपट्टा स्मृति चिन्ह भेंट करने पहुंच जाते हैं और फोटू शेषन करा कर तमाम शोशल मीडिया से लेकर मीडिया में जोर शोर से प्रकाशित कराते हैं ताकि जनता में यह मैसेज पास हो जाये कि व्यापार मंडल के सिबा किसी नेता की अधिकारियों व राजनेताओं में पहुंच नहीं है और उसकी आड़ में हर वो कार्य करें जिससे कि उक्त लोगों की अवैध दुकान जोर शोर से चलती रहे और इसी चमक दमक में दलित उत्पीड़न कर सरकारी जमीन को कब्जाने की एक हकीकत ने उक्त व्यापार मंडल की पोल खोल दी।
यूँ तो व्यापार मंडल को लोग कमण्डल दल या दलाली का अड्डा होने का आरोप लगाते रहे हैं लेकिन दिनांक बीस जनवरी 2022 को हुए एक एग्रीमेंट ने उक्त व्यापार मंडल की पोल खोलने का कार्य कर दिया है जहां एक सरकारी जमीन के एक बेशकीमती भूखण्ड को जबरन दबाब बनाकर एक दलित व्यक्ति को धमका कर व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने अपने नाम एग्रीमेंट करा लिया है और सूत्रों के अनुसार गोवर्धन नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी से नगर पंचायत के अभिलेखों में नाम मालिकाना हक दर्ज कराने के लिए नगर पंचायत गोवर्धन में कार्यरत एक कर्मचारी को मोटी धन राशि नगर पंचायत गोवर्धन के लिये देदी गई है और नगर पंचायत गोवर्धन के उक्त कर्मचारी ने भी अधिशासी अधिकारी के लिए मोटी धन राशि लेकर असिस्टेंट दर्ज कराने के लिए आस्वस्त कर आस्वासन दे दिया है लेकिन जो एग्रीमेंट जिस अभिलेख के आधार पर किया गया है उस अभिलेख के अनुसार वह अभिलेख कानूनन अभी मान्य ही नहीं है क्योंकि जिस अभिलेख के बदौलत एग्रीमेंट हुआ है वह अभिलेख तब तक वैध कदापि नहीं हो सकता है जब तक कि उस अभिलेख में दर्शाए गए चैक जो मई व जून 2022 में जब तक कैश होकर उस अभिलेख को करने वाले प्रथम पक्ष के खाते में भुगतान नहीं हो जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ जिस जमीन की खरीद फरोख्त की जा रही है सरकारी अभिलेखों में आज भी वो भूमि पशुचर आदि के नाम से दर्ज कागजात है और उक्त जमीन को खाली करा कब्जा मुक्त कराने हेतू माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज ने एक जनहित याचिका में प्रशासन को आदेश जारी किए हुए हैं।
विस्तृत विवरण शेष अगले भाग में क्रमशः जारी