सुदर्शन टुडे न्यूज़ ब्यूरो चीफ खरगोन
खरगोन /नवागत कलेक्टर श्री शिवराज सिंह वर्मा शनिवार को मेनगांव स्थित कन्या परिसर में बालिकाओं को खुद की वैल्यू बढाने के लिए नायाब तरीकों के बारे में एक शिक्षक की भांति समझाया। उन्होंने इसके लिए माइकल जॉर्डन की कहानी सुनाकर प्रेरित किया कि उन्होंने कैसे पापा की कही बात को मानकर 1 डॉलर की टीशर्ट को पहले 2 डॉलर, फिर 200 डॉलर और फिर 12 हजार डॉलर में बेंचकर कमाई की। कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि जब माइकल जॉर्डन पापा की बात को सूत्रवाक्य समझकर ज्यादा से ज्यादा कीमत में बेंचकर टीशर्ट की कीमत बढ़ा सकता है तो हम इंसान खुद की वैल्यू क्यों नहीं बढ़ा सकते ? कलेक्टर श्री वर्मा पहली बार कन्या शिक्षा परिसर में छात्राओं से मिलने पहुँचे थे। इस दौरान एसडीएम श्री ओएन सिंह, जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त श्री प्रशांत आर्य और परिसर का स्टॉफ मौजूद रहा। छत टपकती स्कूल में पढ़कर कलेक्टर बन सकता हूँ तो आप सुदृढ़ बुनियाद में पढ़ने वाले क्यों नहीं ?छात्राओं से मुख़ातिफ होते हुए कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि उन्होंने छत टपकती स्कूल में पढ़ाई की ओर फिर कलेक्टर बने हैं। लेकिन आप लोग सुदृढ़ बुनियाद के बीच सारी व्यवस्थाएं आपके साथ है तो आप क्यों नहीं? आगे उन्होंने कहा कि जब बच्चा जन्म लेता है तो खाली सीडी लेकर आता है, इसलिए अच्छे अवसर पाकर आप खुद अपना सॉफ्टवेयर विकसित कर सकते हैं। किताबें पढ़ो लेकिन उससे ज्यादा उसको समझो यह सबसे ज्यादा जरूरी है। मुसीबतें अक्सर इंसान को स्ट्रांग बनाती है। परिस्थितियों से लड़ना सीखें। कभी भी किसी चीज के लिए दोष देना ठीक नहीं है। हम समस्या नहीं बल्कि समस्या का समाधान बने यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। अणु परमाणु से लेकर हेप्पीनेश रहने तक की दी समझाइशकलेक्टर श्री वर्मा ने बालिकाओं से गणित में प्रतिशत और पॉइंट के सॉफ्टवेयर सेट करने के संबंध में आसान तरीके सुझाये। उन्होंने पानी का सूत्र एचटूओ ही क्यों है ? आदि प्रश्न भी किये और संयोजकता, अणु परमाणु तथा इलेक्ट्रान, प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के अलावा संस्कृत के बारे में भी प्रश्न कर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। जीवन के तीन लक्ष्य
कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि जीवन के तीन ही लक्ष्य है। हैल्थ, वैल्थ और हेप्पीनेश जो सबके लिए महत्वपूर्ण है। हेल्थ फिसिकल और मैन्टल दोनों महत्वपूर्ण है। फिसिकल हेल्थ भोजन पर कंट्रोल और व्यायाम से बनाई जा सकती है। जबकि मेंटल हेल्थ अच्छे विचारों को जीवन मंे उतार कर बनाई जा सकती है। वहीं दिमाग एक बगिचे के सामान है। जिसमें अच्छे पौधे और माली की तरह देखरेख नहीं करेंगे तो विकृत होगा। वैल्थ के लिए खुद की वैल्यू समझनी होगी। हेप्पीनेश के लिए किसी का बुरा नहीं करें और अच्छे विचार के साथ खुश रह सकते हैं।