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वार्षिक श्रीराम लीला महोत्सव -लक्ष्मण ने काटी सूर्पनखा की नाक छल से हरण कर ले गया लंकापति रावण ,लीला प्रसंग का मंचन देखने उमड़ा भारी जनसैलाब

श्रीराम लीला संचालन समिति के प्रमुख पंडित राजेन्द्र प्रसादरायसेन।

वार्षिक श्रीराम लीला महोत्सव में श्री राम ने किया खरदूषण का वध, लखनलाल ने काटे सूर्पनखा के नाक और कान।रायसेन शहर में चल रही 20 दिवसीय वार्षिक श्रीराम लीला प्रसंग की रोचक मैदानी मंचन देखने नगर सहित आसपास के गांवों से रोजाना मेला ग्राउंड में भारी जनसैलाब उमड़ रहा है।

शुक्ला ,जगत प्रकाश शुक्ला बद्री प्रसादपाराशर ने बताया कि लंकापति रावण की बहन सूर्पनखा पंचवटी में घूमने निकलती है।वह यह देखती है कि अयोध्या नगरी के दो तपस्वी क्षत्रीय राजकुमार श्रीराम, उनकी पत्नी सीता और लक्ष्मण पंचवटी में कुटिया बनाकर रहते हैं।उन्होंने बताया कि दशानन की राक्षसी बहन सूर्पनखा मोहित हो प्रभु श्रीराम से विवाह का प्रस्ताव रखती है।राम बोलते हैं कि हे सुंदरी मैं एक व्रत पत्नी धर्म का पालन करता हूँ।तुम मेरे अनुज से चाहो तो विवाह कर सकती हो।सूर्पनखा लखन लाल के पास जाकर विवाह करने की जिद करने लगती है।लक्ष्मण के कई बार समझाने के बाद भी वह नहीं मानती तब गुस्से में आकर लखनलाल क्रोधित हो सूर्पनखाके नाक कान काट देते हैं।खून से लतपथ सूर्पनखा अपने भाईयों के राजमहल खर और दूषण के पास रोती बिलखती पहुंच जाती है।खर दूषण उसकी इस दशा के बारे में पूछते हैं।फिर खर और दूषण पचरंगी सेना लेकर श्रीराम से युद्ध लड़ते हैं आखिर में खरदूषण सेना सहित युद्ध में मारे जाते हैं।
इसके बाद सूर्पनखा अपने भाई लंका पति रावण के दरबार पहुंच कर करुण विलाप करती है।दशानन क्रोधित होता है।बाद में त्रिलोकी राजा दशानन बसूर्पनखा से यह वादा करता है कि वह राम की भार्या सीता का हरण कर अशोक वाटिका में बंदी बनाकर पत्नी के रूप में रखने का वचन देता है।लंकापति रावण अपने मामा मारीच को दरबार में बुलाता है।सोने का हिरण बनकर पंचवटी के आसपास विचरण करने का आदेश दशानन देता है।सीता राम को सोने के हिरण को पकड़ने की जिद करती है।जैसे ही वह हिरण को पकड़ने पीछा कर ते हैं। श्रीराम धनुष के बाण से मायावी मारीच का वध करते हैं तो वह हाय लक्ष्मण हेराम करते हुए मारा जाता है।तभी लक्ष्मण भी पंचवटी कुटिया से रामजी की सहायता करने चले जाते हैं।तभी लंकापति रावण साधु के वेश में छलकपट से सीता का हरण कर पुष्पक विमान से आकाश मार्ग से दक्षिण दिशा की ओर लंका ले जाता है।

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