Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

*महेश्वरी साड़ी की मूल्य वृद्धि हेतु महेश्वर ग्रामीण की महिला बुनकरों को बाग प्रिंटिंग प्रकिया की बारीकीयाँ बाग विजिट पर सिखाई गई*

 

भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान के प्रोजेक्ट हैंडमेड इन इंडिया महेश्वर के द्वारा क्लस्टर विकास के लिये निरंतर कार्यक्रम चलाये जा रहे है। जिसमें मार्किट डिमांड के अनुसार नई डिज़ाइन बनाना, प्रदर्शनी में भाग दिलाना, डिजिटल मार्केटिंग सीखना, प्रोफेशनल फोटो शूट करवाना, उद्यम रजिस्ट्रेशन के लिये विभिन्न शासकीय पंजीकरण करवाना, उत्पाद के प्रमाणिकरण के लिए वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार से हैंडलूम मार्क एवं इंडिया हैंडलूम ब्रांड दिलवाना सहित अन्य कार्यक्रम शामिल है।

 

इसी तारतम्य में इडीआईआई के प्रोजेक्ट हैंडमेड इन इंडिया महेश्वर कार्यालय ने महेश्वर ग्रामीण की 40 महिला बुनकरों को प्रसिद्ध बाघ ब्लॉक प्रिंट की वर्कशॉप एवं प्रकिया की जानकारी देने के लिए 14 जुलाई को एक्सपोज़र विजिट करवाई गई। इस ग्रुप में मंडलेश्वर, बबलाई, कसरावद (बायोरे) की ऐसी महिला बुनकरों को शामिल किया गया था जिन्होंने वर्षों से सिर्फ महेश्वरी साड़ी व अन्य उत्पादों की बुनाई की है। लेकिन कभी महेश्वरी परिधानों की साज सज्जा के लिए उपयोग की गई वैल्यू एडिशन की प्रक्रिया नहीं जानी थी। इन महिला बुनकरों ने सिर्फ बाघ, बाटीक प्रिंट एवं हैंड एमब्रोईडरी की हुई महेश्वरी साड़ी देखी थी लेकिन इन पर होने वाली सरफेस ओर्नामेंटेशन की प्रक्रिया से अनभिज्ञ थी। जबकि महेश्वरी साड़ी पर प्रिंट करने एवं हैंड एमब्रोईडरी करवाने के लिये स्पेशल तरीके से बुनाई करनी जरुरी होती है। क्योंकि महेश्वरी हैंडलूम कपड़ा बहुत ही महीने धागे से बना होने के कारण बहुत पतला होता है। बाघ व बाटीक प्रिंट में महेश्वरी कपड़ा 3 से 4 बार उबलते पानी में डाई के लिये डाला जाता है जिससे उसके महीने रेशे कमजोर हो जाते है एवं प्रिंट की हुई साड़ी कुछ ही महीने में फट जाती है।

 

मार्किट में महेश्वरी साड़ी पर विभिन्न प्रिंट एवं एमब्रोईडरी की बढ़ती डिमांड के लिये प्रिंट करने वाली साड़ीयों को प्रिंट व डाई करने योग्य बुनाई करना जरुरी होता है। इसके लिये हैंडलूम की बीट अप (बाने की ठुकाई) ज्यादा करनी होती है जिससे नार्मल साड़ी की अपेक्षा बाने का धागा ज्यादा लगता है। वार्प (लम्बाई के धागे) का वजन लूम पर बढ़ाया जाता है। ये सब तकनीकी बिन्दुओ की जानकारी एवं ट्रेनिंग भी हैंडमेड इन इंडिया प्रोजेक्ट ने महेश्वर के बुनकरों की दी है।

 

महेश्वर ग्रामीण की महिला बुनकरों के लिये यह स्पेशल विजिट इसलिए प्लान की गई थी कि वे प्रिंट के लिये बुनने वाली साड़ी व अन्य उत्पादों को सही तरीके से बुने जिससे प्रिंट व डाई का रिजल्ट अच्छा आ सके एवं महेश्वरी हैंडलूम उत्पाद अधिक समय तक चले। इस विजिट पर बाघ प्रिंट के जानकर मोहम्मद वहाब खान एवं मोहम्मद शवाब खान बाघ प्रिंटर द्वारा महिला बुनकरों को बाघ प्रिंट की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी गई। प्रिंट की जाने वाली हैंडलूम साड़ी एवं बाघ प्रिंट की टेक्निकल जानकारी इडीआईआई टीम द्वारा दी गई। इस अवसर पर प्रोजेक्ट हैंडमेड इन इंडिया के सुरेंद्र जैन (प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर), सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट कपिल कुमार मधुकर, जावेद कुरैशी (मास्टर ट्रेनर) एवं मोबिलाइजर मुदस्सीर अंसारी उपस्थित थे।

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