बदनावर। गांव की सरकार चुनने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओ मे अजब का उत्साह देखा गया हर पोलिंग बुध पर कतारे देखी गई जो समय खत्म होने के बाद भी भीड़ खत्म ना हुई मतदान चलता रहा। एक मतदाता को 4 जगह धप्पे लगाने थे वह भी अपनी मनपंसद के उम्मीदवार को इस कारण बडी धीमी गती से मतदान होता रहा। पढे लिखे मतदाताओ को भी दो तीन मिनट मतदान में लग रहें थे। जो बिना पढे लिखे थे वह भी 5 मिनट तक का समय ले रहे थे। यही कारण था कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर काफि भीड भाड रही। शासन ने प्रत्येक मतदान केंद्रो पर पानी व छाया कि व्यवस्था कर रखी थी। कुछ छुट पुट घटना के अलावा सभी मतदान केंद्र पर शांति से मतदान हुआ। मतदाता मतदान करने के बाद भी अपने पत्ते नहीं खोल रहां है किसने किसको वोट दिया है मतदाता नहीं बता रहा हैं। इसलिए चुनाव लडने वाले उम्मीदवार भ्रम की स्थिति में है। कोई अपनी जीत का दांवा करता हुआ दिखाई नहीं दे रहा हैं। खासकर पश्चिमी क्षेत्र में जहां अधिकांश लोग आदिवासी हैं और इनके मत से ही सरपंच की अदला बदली होती है जिस और आदिवासी मतदाताओ का झुकावं रहता है उसकी जीत पक्की मानी जाती हैं। छायन पंचायत, धारसीखेडा, मुंगेला, भेसोला, दोत्रीया, बखतपुरा, संदला, तीलगारा, जाबडा, करणपुरा, बोरदा, बोरदी यह सभी पंचायत आदिवासी बाहुलय है और इनके मत से ही सरपंच बनता है। इस बार कोई भी मतदाता अपने पते नहीं खोल रहा हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि सरपंच पद से लडने वाले कई उम्मीदवार मैदान में है वह किसी से भी बुराई मोल नहीं लेना चाहता हैं। बदनावर के नजदीक के पंचयात खेडा, भुवानीखेडा, मुलथान, पिटगारा यह चर्चीत पंचयात है यहां से कौन जीत कर आता है सभी यह जानने के लिए उत्सुक हैं। हालाकि सरपंच के परिणाम अधिकृत रूप से घोषित तो नहीं होंगें लेकिन मतगणना में पता चल जाएगा कि कौन जीत रहा है।