Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

अझवार पंचायत में पानी पर पाबंदी का फरमान

जलसंकट से निपटने किया उपाय,

सुदर्शन टुडे भास्कर पाण्डेय

पीएचई नहीं कर पा रहा इंतजाम

 डिंडौरी जिले के अझवार ग्रामपंचायत के द्वारा एक व्यक्ति को सिर्फ दो डिब्बा पानी भरने का अनोखा फरमान जारी किया है। जिसके लिए ग्रामपंचायत ने पूरे गांव में बाकायदा मुनादी करवाई है। दरअसल करीब एक हजार की आबादी वाले अझवार गांव में पिछले कई दिनों से भीषण जलसंकट के हालात बने हुए हैं। गांव के कई हैंड पंप जल स्तर नीचे जाने से सुख गए है तो कुछ खराब पड़े है। वहीं पीएचई विभाग के द्वारा अब तक नल जल योजना से भी इस गांव में पानी की व्यवस्था नहीं की गई है जबकि लगातार वर्षों से मुख्य मार्ग पर स्थित यह गांव जल संकट को झेलता आ रहा है। लिहाजा पानी भरने के लिए एक मात्र चालू स्थिति के हैंडपंप में लोगों की भीड़ लगी रहती है और पहले पानी भरने के चक्कर में लोगों के बीच विवाद की स्थिति बन जाती है। आरोप है की गांव के कुछ प्रभावशाली लोग 25 से 30 डिब्बा लेकर हैंडपंप में डटे रहते हैं जिसके कारण गरीब, मजदूर वर्ग व अन्य लोगों को पानी नहीं मिल पाता और ऐसे में विवाद की स्थिति बन जाती है।

जलसंकट को ध्यान में रखते हुए एवं विवाद से बचने ग्रामपंचायत के द्वारा सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है की एक व्यक्ति हैंडपंप से सिर्फ दो डिब्बा पानी ही भरेगा ताकि सभी को बराबर पानी मिल सके। ग्रामपंचायत के इस फैसले की पूरे गांव में मुनादी भी कराई गई है और मुखिया के मुनादी का यही अंदाज सोशल मीडिया में जमकर वायरल भी हो रहा है। ग्रामपंचायत के इस फैसले की कोई निंदा कर रहा है तो कोई इसे प्रशासन व सरकार की नाकामी बता रहा है लेकिन हकीकत यह है की ग्रामपंचायत के इस फैसले से गांव की बड़ी आबादी खुश दिखाई दे रहा है।

गौरतलब यह है की अझवार ग्राम में करीब पांच हैंडपंप है जिसमें 2 हैंडपंप की हालत ठीक ठाक है बाकी 3 हैंडपंप में पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। जिसके कारण 2 हैंडपंप में पानी भरने लोगों का हुजूम लगा रहता है। स्थानीय लोग ग्रामपंचायत के फैसले से बेहद खुश नजर आ रहे हैं और उन्होंने फैसले को सही बताया है। स्थानीय लोग यह जरूर कह रहे हैं की दो डिब्बा पानी पर्याप्त नहीं है लेकिन पहले तो उन्हें दो डिब्बा पानी भी नसीब नहीं हो पाता था इसलिए वो पंचायत के फैसले से संतुष्ट दिख रहे हैं। अझवार ग्रामपंचायत के पोषक ग्राम अझवार रैयत में पीएचई विभाग के द्धारा लाखों रूपये की लागत से पानी टंकी व पाईपलाइन बिछाया गया था जो सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है। ग्रामवासियों ने पीएचई विभाग के अफसरों पर लापरवाही व भ्रष्टाचार करने के आरोप भी लगाए हैं। पंचायत के फैसले की मुनादी करने वाले मुखिया कमोद प्रसाद बताते हैं की वो सरपंच के आदेश पर मुनादी कर लोगों को सिर्फ दो डिब्बा पानी भरने के लिए आगाह कर रहे हैं और वो हैंडपंप के पास यह देखने के लिए तैनात भी रहते हैं की कोई व्यक्ति दो डिब्बा से ज्यादा पानी न भरे।

ग्रामपंचायत के सरपंच भगत सांडया का कहना है की भीषण गर्मी के दौरान गांव के सभी लोगों को व्यवस्थित तरीके से पानी मिल सके इसलिए सर्वसम्मति से इस प्रकार का फैसला लिया गया है व जरुरत पड़ने पर ग्रामवासियों को पानी टैंकर के जरिये पानी मुहैया करवाने की बात कर रहे हैं। जलसंकट को लेकर पीएचई विभाग के अफसर व जिले के जिम्मेदार अधिकारी बंद कमरे में मैराथन बैठकें करने में व्यस्त हैं तो वहीं इलाके के सांसद व विधायक आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।

 

नकारा व्यवस्थाओं का प्रतीक है ये फरमान

 

प्रधानमंत्री का जल जीवन मिशन और हर घर पानी पहुंचाने का संकल्प नकारा प्रशासनिक व्यवस्था के आगे अभी से घुटने टेकता नज़र आ रहा है। ग्रामीण जनजीवन जहां आगन बाड़ी, पेड़ पौधे, पशुओं का साथ होता है उन परिवारों के लिए दो डिब्बे पानी में गुजर होना असम्भव है। इस गांव में यह समस्या पहली बार नहीं आई है वर्षों से लोग गर्मियों में इसी तरह का जल संकट झेलते आ रहे है तब भी पीएचई के मैदानी अमले और अधिकारियों की पिछले 70 सालों में नींद नहीं खुली। जिला प्रशासन के पास अब तक न तो संकट ग्रस्त ग्रामों की समीक्षा है और न कोई नीति निर्धारित की गई है। जिसके चलते रोज प्रदर्शन कर रहे है ग्रामीण या फिर जिला मुख्यालय आकर धक्के खा रहे है। जबकि जल संकट पर समीक्षा बैठको का दौर लगातार चलता रहता है। इन बैठकों में शासन से आबंटित करोड़ों की राशि के व्यय के आंकड़ों के अलावा यदि समस्या के निदान और संकट ग्रस्त ग्रामों को प्राथमिकता में रखकर योजना बनाई गई होती तो कम से कम स्थानीय लोगों को इस तरह के फरमान न जारी करना पड़ता। इस खबर को लेकर पिछले दिनों से मीडिया ने मचे शोर के बाद आखिर टैंकर से जल आपूर्ति किए जाने की जानकारी मिल रही है। पीएचई विभाग यही इंतजाम पहले भी कर सकता था, पर नहीं किए गए और आगे भी लगातार यह व्यवस्था लागू रहेगी इसकी भी संभावना कम ही है। गांव में लगी पानी की टंकी शो पीस बनी है जिसके निर्माण की राशि डकारने के बाद पीएचई के अमले ने मुड़कर नहीं देखा, यह हकीकत है जिम्मेदार विभाग की कार्यप्रणाली की!

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