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pachourमध्य प्रदेश

पचोर के नवनीत कुमार गुप्ता ने रचा इतिहास, हिंदी भाषा में विज्ञान विषय से पीएचडी कर देश के पहले शोधार्थी बने,

पचोर (राजेश भारतीय) सुदर्शन टुडे।

कुछ प्रतिभाएं ऐसी होती हैं जो अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लेती हैं। पचोर नगर की एक ऐसी ही प्रतिभा है नवनीत कुमार गुप्ता, जिन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि के लिए विज्ञान विषय को हिंदी शोध कार्य कर पुरा किया। और हिंदी भाषा मे विज्ञान विषय पर शोध करने वाले देश के पहले शोधार्थी बने। डॉ. नवनीत कुमार गुप्ता पहले ऐसे शोधार्थी रहे जिन्होंने वैज्ञानिक और नवीकृत अनुसंधान अकादमी (एसीएसआईआर) के तहत राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान (सीएसआईआर-निस्पर) नई दिल्ली से राजभाषा हिंदी में विज्ञान विषय से पीएचडी को पूरी किया। इस विश्वविद्यालय में लगभग 10 हजार से अधिक शोधार्थी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी विभिन्न विषयों में पीएचडी के लिए पंजीकृत करा चुके हैं लेकिन हिंदी भाषा में पहला शोध प्रबंध प्रस्तुत कर डॉ. नवनीत कुमार गुप्ता ने कीर्तिमान स्थापित किया है।विज्ञान को अक्सर जटिल विषय समझा जाता है और इसके लिए अंग्रेजी माध्यम में ही अक्सर अध्ययन की सलाह दी जाती है क्योंकि हिंदी भाषा में संदर्भ सामग्री की उपलब्धता कम ही होती है। लेकिन ऐसे विषय पर हिंदी भाषा में शोध कार्य डॉ. नवनीत कुमार गुप्ता के हिंदी प्रेमी होने को दर्शाता है। डॉ. गुप्ता ने अपने शोध कार्य पूर्ण होने के लिए अपने गाईड डॉ. जी महेश, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर, नई दिल्ली और को-गाईड डॉ. फूलदीप कुमार, वैज्ञानिक , डीआरडीओ, दिल्ली के मार्गदर्शन में यह अहम शोध कार्य संपन्न किया है।पठनीयता सूचकांक का किया विकासडॉ. नवनीत कुमार गुप्ता का शोध विषय ”भारत में लोकप्रिय हिंदी विज्ञान पत्रिका के माध्यम से विज्ञान संचार: एक अध्ययन” था जिसके अंतर्गत उन्होंने सीएसआईआर-निस्पर से प्रकाशित होने वाली प्रसिद्ध लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञान पत्रिका’ की विषयवस्तु का विश्लेषण करने के साथ हिंदी भाषा में विज्ञान पाठ्य के लिए पठनीयता सूचकांक का विकास किया। पठनीयता सूचकांक का विकास होने से हिंदी भाषा में विज्ञान लेखन को और अधिक उन्नत करने की दिशा में कार्य किया जा सकेगा। उन्होंने राष्ट्रीय संस्थान से सर्वाधिक लंबे समय 1952 से प्रकाशित होने वाली इस ‘विज्ञान पत्रिका’ पत्रिका पर शोध कर विज्ञान लेखन में पाठकों और लेखकों के विचारों का भी विश्लेषण कर विज्ञान संचार के क्षेत्र में अहम कार्य किया है। इसके अलावा उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान सम्मलेनों में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं।पहले भी बनाए कई कीर्तिमान
डॉ. नवनीत कुमार गुप्ता विज्ञान लेखन की दुनिया में प्रमुख स्थान रखते हैंउन्हें सबसे कम उम्र में विज्ञान की विभिन्न विषयों पर उनके द्वारा हिंदी भाषा में लिखी गई अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें गृहमंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मुख्य हैं। 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा भी नवनीत कुमार गुप्ता को विज्ञान लेखन के लिए सम्मानित किया गया था। विदेश मंत्रालय द्वारा भोपाल में 2015 के दौरान आयोजित किए गए विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, भारत सरकार द्वारा भी हिंदी भाषा में नवनीत के प्रयासों की सराहना की थी। उनके द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में 500 से अधिक विज्ञान संबंधी लेखों को प्रकाशन किया गया है। अकादमिक क्षेत्र की बात करें तो विभिन्न शोध पत्रिकाओं में उनके 15 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।

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