नीमच / मनासा (सुदर्शन टुडे)
मनासा.राजा दशरथ के घर जब भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न का जन्म हुआ तो आकाश से देवताओं ने फूलों की वर्षा की, ढोल नगाड़े बजने लगे, जनता जय जयकार करने लगी, मंगल गीत गाए गए, अवसर था गांव नलखेड़ा में हाथ रस की तर्ज पर आधारित रामलीला का। गांव नलखेड़ा के युवा कलाकारों द्वारा रामलीला के दूसरे दिन भगवान राम जन्मो उत्सव प्रसंग का सजीव चरित्र चित्रण किया गया। कलाकारों ने रामलीला के मंच से रावण के बढ़ते अत्याचार व पृथ्वी पर पाप अधिक बढ़ने पर पृथ्वी देवताओं, महादेव एवं ऋषि मुनियों की शरण में जाती है। ऋषि मुनि व देवी देवता सभी मिलकर भगवान नारायण की शरण में पहुंचते, तब भगवान उन्हें जल्द ही राजा दशरथ के घर जन्म लेकर पृथ्वी से पाप का विनाश करने की बात करते हैं। इधर राजा दशरथ अपने जीवन का आधा बसंत पुर्ण होने के बाद भी संतान नहीं होने पर बहुत परेशान एवं विचलित होते हैं। ऐसे में गुरू वशिष्ठ उनको संतान उत्पति का यज्ञ करने को कहते हैं। राजा दशरथ अपनी तीनों रानियों के साथ यज्ञ करते हैं। यज्ञ से अग्निदेव प्रकट होकर राजा को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। राजा दशरथ के घर भगवान राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न चार बालक जन्म लेते हैं। भगवान के जन्म पर मंगल गीत व बधाई देने का सजीव चरित्र चित्रण युवा कलाकारों द्वारा मंच से किया गया। सुर मुनी की भूमिका अर्जुन शर्मा, महादेव पंकज मोड, ब्रह्मा सोहन सेन, रावण कमलेश शर्मा, राजा दशरथ कैलाश राठोर, कोशल्या ललीता पाटीदार, गुरू वशिष्ठ चन्द्र प्रकाश मोदी, बालरूप राम चिन्टू सेन, शत्रुघ्न रघुवीर सेन व बन्दर का आदित्य सेन ने निभाई। इस अवसर पर अतिथि पुर्व सेवा निवृत्त शिक्षक जगदीशचंद्र शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि सनातन धर्म को बचाना आपकी व हमारी जिम्मैदारी है ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने धर्म की रक्षा कर सके। युवा कलाकारों को रामलीला की प्रेरणा जहां से भी मिली है मैं उनको ओर कलाकारों को बधाई देता हूं कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिए। इस दोरान कलाकारों ने उपस्थित जनता को खुब आनंदित किया।