संवाददाता रानू जावेद खान
जवेरा दमोह –
शहर में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी महान सूफ़ी हज़रत बशीरुल औलिया के उर्स की फ़ातिहा का आयोजन किया गया जिसकी सरपरस्ती हज़रत सूफ़ी फैजानुलहक साहब ने की प्रोग्राम की शुरुआत मिलाद शरीफ से हुई बाद में महफ़िल सिमा का आयोजन हुआ।उर्से बशीरी की महफ़िल की सरपरस्ती सूफी हज़रत फैजानुलहक़ साहब ने की गौरतलब है कि दमोह ख़ानक़ाह में ये उर्स मुबारक बीते 1962 से मनाया जा रहा है और अब ख़ानक़ाह का निज़ाम हज़रत फैजानुलहक़ साहब की सरपरस्ती में चल रहा है जिनसे लोगों को बड़ी निस्बत और अकीदत है इस बार भी दो रोजा उर्स कार्यक्रम बड़ी कामयाबी के साथ संपन्न हुआ जिसमें
हिंदुस्तान के प्रसिद्ध कव्वाल अल्ताफ़ नियाज़ी अपने साथियों के साथ शिरक़त की और महफ़िल में सूफियाना कलाम पढ़े ।
महफ़िल में जब बुजुर्गों की तारीफ में कलाम पढ़े गए तो उनके मुरीदों की अपने गुरु पीर साहब के प्रति आस्था व अकीदत देखते ही बनी और सूफियाना कलामों पर मुरीद झूम उठे महफ़िल दो दिन चली । उर्से बशीरी की शुरुआत महफिले मिलाद से हुई बाद मिलाद अल्लाह का ज़िक्र हुआ और देर रात तक महफिले सिमा कव्वाली का आयोजन हुआ जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंदों नें शिरक़त की ।
उर्स के समापन अवसर पर बाद नमाज़ मग़रिब शाम 7 बजे हज़रत का जोड़ा शरीफ़ ख़ानक़ाह पहुँचा जिसे तमाम चाहने वाले अकीदतमंदों ने जोड़े को अपने सरों पर रखकर अपनी अकीदत पेश की बाद में महफिले कव्वाली में मेहमान कव्वालों ने समा बाँध दिया ।