सुदर्शन टुडे राहुल गुप्ता दमोह
दमोह- शैक्षणिक भ्रमण के तहत ओजस्विनी महाविद्यालय एवं एकलव्य विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को सचदेव नर्सरी में भ्रमण कराया गया जहां पर पौधों को कैसे तैयार किया जाता है कितने प्रकार की विधियों से पौधे तैयार होते हैं और उनसे कैसे स्वरोजगार के साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार दिया जा सकता है यह पूरी जानकारी सचदेव नर्सरी के मालिक अभय सचदेव जी ने विद्यार्थियों को बहुत ही सरल तरीके से दी साथ ही पूरे प्लांट का भ्रमण कराया और विद्यार्थियों को बताया कि अगर आप इस तरह से टिश्यू कल्चर में अपनी रुचि दिखाते हैं तो आप अपने पैर पर खड़े होकर स्वरोजगार अपना कर दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम बनते हैं लेकिन आपकी रुचि पूरी टिश्यू कल्चर में होनी चाहिए जो आपका विषय है उसको अच्छे से पढ़िए जिससे आने वाले समय में आप वैज्ञानिक तरीके से कृषि भी कर पाए, वही प्लांट टिश्यू कल्चर एक ऐसी तकनीक है जो वहां पर बहुत ही सरल तरीके से कराई जा रही है जिसमें पौधे के एक छोटे से भाग से कई प्लांट बनाए जा सकते हैं ऐसे ही तकनीक दमोह जिले के सचदेव नर्सरी प्लांट में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को बताई गई और उसकी पूरी जानकारी दी गई छात्राओं को उसके महत्व को बताने के लिए एकलव्य विश्वविद्यालय से डॉ.अभिषेक जैन और डॉक्टर शिखा वनस्पति विज्ञान विभाग से रही वहीं ओजस्विनी महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.शमा जे पी खानम, पवन मोदी, भी उपस्थित रहे, महाविद्यालय की प्राचार्य ने विद्यार्थियों को टिश्यू कल्चर लैब के महत्व को बताया एवं पर्यावरण के महत्व को भी बहुत अच्छे तरीके से समझाया जैसे की इंसान बीमार होते हैं वैसे ही पौधे भी बीमार होते हैं पौधों को बीमारी से बचने के लिए बहुत सारी तकनीकी अपनाई जाती हैं जो की सचदेवा नर्सरी में बड़े आसानी से देखने को मिलती है साफ सफाई की व्यवस्था भी बहुत जरूरी है अगर साफ सफाई नहीं रहेगी तो पौधों को बचाना मुश्किल रहेगा पौधों को बच्चों की तरह पाला पूछा जाता है और फिर उनको प्लांट किया जाता है तब वह कहीं जाकर हमें पौधे पेड़ के रूप में नजर आते हैं उनकी महत्वता को बात कर बच्चों को प्रोत्साहित किया और साथ ही ऐसे शिक्षक प्रमाण समय-समय पर विद्यार्थियों को दिए जाएंगे | विद्यार्थियों में रुचि देखने को मिली और वही वर्मी कंपोस्ट प्लांट पर भी ले जाया गया जहां पर देखा गया कि केंचुआ को किस तरह पाला जाता है और रासायनिक खेती से मुक्त होने के लिए हमें प्राकृतिक खेती करना जरूरी है और उसमें सबसे बड़ा योगदान वर्मी कंपोस्टिंग यूनिट का है इस पूरे कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से डॉ निधि असाटी, प्रहलाद सर,चांदनी पटेल, नीलम सेन, मेघा श्रीवास्तव,महवर बक्श, प्रांजल शैलार ,गायत्री कुशवाह, शगुफ्ता खान,आफरीन,समरीन ,उपासना सतीश, अखिलेश, जिब्राइल, वर्षा, निधि,के साथ समस्त स्टाफ की उपस्थिति रही|