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मध्य प्रदेश

ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों में हुए भ्रष्टाचार की कार्यवाही में सिर्फ वेतन कटौती भ्रष्टाचार के मामले में जिला जनपद मुख्यालय से हुई,ऊट के मुंह में जीरे के समान कार्यवाही

संवाददाता आनंद राठौर

दोषियों का वेतन ही काटना था, तो कार्यवाही में इतनी लेट लतीफी क्यों 

बड़वाह – भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्र व राज्य की सरकार मुखगर है।प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी अपने भाषण में आए दिन प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का दावा कर रहे है।यहा तक की वह मंच से कई बार भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरो को ऑन द स्पॉट सस्पेंड तक कर रहे हैं।कुछ समय पूर्व ही उन्होंने खरगोन में जिला शिक्षा अधिकारी के.के डोंगरे को मंच से निलंबित किया था। लेकिन सीएम के इतने तीखे तेवर होने के बावजूद भी खरगोन जिले में भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।जबकि इसका नतीजा खरगोन जिले के बड़वाह में उल्टा देखने को मिल रहा है । जहा भ्रष्टाचारियों पर नेताओं का संरक्षण और अफसरों की आपसी सांठगांठ से भ्रष्टाचारियों को सजा देना तो दूर कार्यवाही के नाम पर केवल पगार की कटौती कर कार्यवाही से इति श्री की जा रही है । उल्लेखनीय है कि 6 दिसंबर 2021 को बड़वाह जनपद पंचायत विकासखड की 4 ग्राम पंचायतों में शासन की राशि का दुरुपयोग कर नियम विरुद्ध व अनियमितता भरे विकास कार्यों की शिकायत हुई थी। जिसकी जांच के लिए गठित दल ने मौका निरीक्षण कर आगे की कार्रवाई हेतु जांच रिपोर्ट जिला जनपद कार्यालय प्रेषित की। करीब 17 माह बीत जाने के बाद दो पंचायतों पर ऊंट के मुंह में जीरे के समान कार्रवाई हुई।इसमें महज पंचायत के सचिव और रोजगार सहायक पर 7 माह का वेतन रोका गया। अन्य दो पंचायत पर कार्रवाई का मामला अभी भी विचाराधीन बताया जा रहा है।जबकि इन ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में मनमाने तरीके से अनियमितता और अनुपयोगी कार्य करवाकर  जहां सरकारी बजट को चूना लगाया गया, वहीं पंचायत के जिम्मेदार हर काम में कमाई के चक्कर में कायदे कानून ताक पर रखकर बेपरवाह रहे। उन्हें न जांच की चिंता रही,न अधिकारियों का डर रहा। क्योंकि उन्हें पहले से ही पता था शिकायत के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होगी। मनी भाई सबको बचा ले जाएगा। बेलगाम राज हो गया। और कुछ हुआ भी यूं।

 

वेतन ही काटना था तो कार्रवाई में देरी क्यों—-

 

6 दिसंबर 2021 को जनसुनवाई के दौरान चार ग्राम पंचायत मुराल्ला,रत्नपुर, नावघाट खेड़ी और हमीरपूरा के अंतर्गत आने वाले ग्राम अमलाथा में हुए निर्माण कार्यों में होने वाली अनियमितता की शिकायत हुई थी।जिसका नतीजा जनपद पंचायत तत्कालीन एपीओ एवं अन्य अधिकारियों के जांच प्रतिवेदन के रूप में देखने को मिला।इस जांच प्रतिवेदन में शिकायत के अनुरूप हर शिकायत पर शासन के नियमों का उल्लंघन कर निर्माण कार्यों को पूर्ण करने की बात सामने आई। हालांकि कार्रवाई को लेकर जब कई बार समाचार प्रकाशित किए गए । तब जनपद पंचायत सीईओ रोहित पचौरी ने जांच प्रतिवेदन जिला जनपद मुख्यालय पर भेजा ।जहां जांच प्रतिवेदन मिलने के बाद भी कार्यवाही में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लेटलतीफी कर रुचि नहीं दिखाई गई। जबकि इस कार्यवाही में लेटलतीफी के चलते जिला कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा को भी शिकायतकर्ता द्वारा संबंधित पंचायतों की शिकायत से अवगत करवाकर एक आवेदन दिया गया ।जिसके चलते 17 माह बीत जाने के बाद 16 मई 2023 को जिला पंचायत मुख्यालय से ऊट के मुंह में जीरे के समान कार्यवाही कर जिला सीईओ ने इति श्री की ।

 

शिकायत और उसके जांच प्रतिवेदन के विपरित हुई कार्यवाही —–

 

ऐसा इसलिए की शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में जिन निर्माण कार्यों को शासन के नियम के विरुद्ध होने की शिकायत थी । उसकी जांच में अधिकारियों ने भी अपने जांच प्रतिवेदन में शासन के नियमों के विरुद्ध सबंधित व्यक्तियों द्वारा कार्य कर शासन की राशि का दुरुपयोग करने का हवाला दिया था । जबकि जिला जनपद मुख्यालय से आए पत्र मैं भी जिला जनपद सीईओ ज्योति शर्मा द्वारा यह उल्लेख किया गया कि पंचायतों में जो निर्माण काम हुए वह पूर्ण है, लेकिन शासन के नियम विरुद्ध किए गए है।इसके बावजूद भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्यवाही करने की बजाय जिला जनपद सीईओ ज्योति शर्मा ने केवल ग्राम पंचायत मुरल्ला और हमीरपुरा के अंतर्गत आने वाले अमलाथा में जिन व्यक्तियों ने शासन के नियम विरुद्ध एवं बिना परमिशन के सड़क निर्माण कार्य किया है। उन व्यक्तियों का 7 दिनों का वेतन काटने के आदेश जारी किए ।जो जिले के वरिष्ठ अधिकारियो के लिए विचारणीय है ।

 

इन पंचायतों के निर्माण कार्यों में हुई अनियमितता—–

 

शिकायत के अनुसार ग्राम पंचायत मुरल्ला में एक स्कूल भवन परिसर में बाउंड्रीवॉल का निर्माण होना था ।लेकिन पूर्व सरपंच सिंगाजी पटेल ने ऐसे भवन को स्कूल दर्शाकर वहा करीब 13 लाख रुपए से अधिक की बाउंड्रीवॉल का निर्माण कर दिया। जो भवन निर्माण के बाद से ही शिक्षा विभाग को हैण्डओवर नही हुआ । और नही कभी उस भवन तक स्कूल के बच्चे पहुंचे ।इस बात का खुलासा शिक्षा विभाग द्वारा हुई 11 जनवरी 2022 की जांच के बाद उनके जांच प्रतिवेदन में किया है।जबकि जांच के दौरान जांचकर्ता ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया, की जहा वर्तमान में स्कूल संचालित हो रही है । उस भवन को करीब 45 साल हो चुके है ।जबकि रत्नपुर पंचायत में संचालित शासकीय हाई स्कूल परिसर में बाउंड्रीवॉल के निर्माण में कई अनियमितता हुई।इस स्कूल की बाउंड्रीवाल निर्माण में ईट और लोहे के सरिए में सबंधित ठेकेदार ने शासन की राशि को पलीता लगाया ।इसी प्रकार ग्राम पंचायत हमीरपूरा के अंतर्गत अमलाथा में शासन के नियम अनुसार जिस सड़क निर्माण को करने के पूर्व जिला अधिकारी से स्वीकृति लेना थी। वहा ग्राम पंचायत ने ही ठहराव प्रस्ताव कर बिना जिला अधिकारी की अनुमति से लाखो रुपए की राशि से सड़क निर्माण कर दिया ।हालाकि इस बात की पुष्टी जिला जनपद मुख्यालय से आए पत्र में की गई ।वही नावघाट खेड़ी पंचायत द्वारा खेत सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण की क्वालिटी के अनुरूप अधिक राशि आहरण की गई ।उल्लेखनीय है की शिकायतकर्ता की हर शिकायत पर शासन के नियमों को ताक में रखकर सबंधित पंचायत के जिम्मेदार एवं बड़वाह जनपद पंचायत के उपयंत्री द्वारा कार्यों को पूर्ण किया गया । इसके बावजूद जिला जनपद सीईओ ने संबंधित व्यक्तियों पर ठोस कार्रवाई और शासन की राशि को वसूलने की बजाय केवल 7 दिन का संबंधित व्यक्तियों का वेतन काटकर जमा करने की बात कही । जिला अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई ।यह कार्यवाही फिर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना दर्शाती है।

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