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मध्य प्रदेश

प्रसिद्ध मढभटुआ धाम : वो मंदिर जो जमीन से निकला

संवाददाता। सुदर्शन टुडे सिलवानी

सिलवानी।।भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवता में से एक हैं। उन्हें त्रिमूर्ति में से एक रूप माना जाता है जो ब्रह्मा और विष्णु के साथ मिलकर सृष्टि, स्थिति, और संहार के अधिपति हैं। शिव को ध्यान में धारण करने से भक्तों को आत्मज्ञान, भक्ति, और दया की प्राप्ति होती है। उन्हें गंगानाथ, भोलेनाथ, महादेव, और नीलकंठ जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। शिव की प्रतिमा त्रिशूल, नाग, और चंद्रमा के साथ दिखाई देती है। उनका वाहन नंदी वृषभ है। शिव धरती पर ध्यान में लगाने वाले भगवानों में से एक माने जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे जो जमीन के अंदर से निकला था। वो मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित हैं। मढ भटूआ धाम प्राचीन शिव मंदिर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की तहसील बेगमगंज अंतर्गत स्थित है। यह मंदिर प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण है और स्थानीय लोगों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। मंदिर की एक पौराणिक कथा है। यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि एक समय के दौरान, भगवान शिव के भक्त राजा रत्नेश एक यात्रा पर निकले थे। यात्रा के दौरान उन्होंने अपने साथ एक साधु भक्त को भी साथ लिया था। रास्ते में, उन्होंने एक गहरे जंगल में रात बिताने का निर्णय किया। यात्रा के थकावट के चलते, वे दोनों भक्त जंगल में सो गए।रात्रि विश्राम के बाद प्रातः शिव भक्त राजा ने धार्मिक भाव से शिव का भजन और पूजा की। उनके पवित्र भाव से प्रभावित होकर, भगवान शिव उन्हें प्रकट होकर वरदान देने आएं। उन्होंने भक्त से पूछा कि उन्हें किस वरदान की इच्छा है। भक्त ने अपनी ईच्छा व्यक्त की कि वे इस स्थान पर ही रहना चाहते हैं और भगवान शिव इस स्थान को स्वयं के धाम के रूप में स्थापित करें। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें मढ भटूआ धाम की परिक्रमा करने का आशीर्वाद दिया। इसी रूप में,रतनहारी गांव का नामकरण हुआ और यहां भगवान शिव ने अपने भक्त की प्रार्थनाएं सभी यात्रियों को पूर्ण करने का वचन दिया। यह प्राचीन किवदंती है। वही एक और पौराणिक कथा के अनुसार करीब 100 वर्ष पूर्व गांव रतनहारी में एक आदिवासी के घर एक बालक हुआ जो बाल्यकाल से ही ब्रम्हचारी साधु बन गया। जिनका नाम बालकदास पड़ा। संत बालकदास को भगवान शिव ने स्वप्न में आकर पूर्व की कथा सुनाई और कहा इस भटूआ पर मेरा धाम था जो अब जमीन के अंदर हैं। इस जगह की तुम ग्रामवासियों के साथ खुदाई कर मुझे बाहर निकालो। स्वप्न की बात संत बालक दास ने सुबह उठकर ग्राम वासियों को बताई जिसके बाद ग्राम वासियों की मदद से उस स्थान की खुदाई की गई। खुदाई में शिव परिवार की पांचो प्रतिमाएं और पाषाण के मंदिर के अवशेष मिले जिसके बाद आसपास के ग्रामीणों की मदद से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया और कुछ समय पूर्व वहां पर ग्राम पंचायत एवं ग्रामीणों द्वारा भव्य राम जानकी एवं शिवजी के मंदिर को बनवाया। मढ भटुआ धाम पर शिवरात्रि और बसंत पंचमी पर तीन-तीन दिन का भव्य मेला का आयोजन होता है।वही सावन माह में श्रद्धालु बड़ी संख्या में भगवान शिव की आराधना करने पहुंचते हैं। यहां के स्थानीय लोगों द्वारा बताया जाता है कि यहां पर जो श्रद्धालु सच्चे भाव से अपनी मन्नत लेकर आता है उसकी मन्नत भगवान भोलेनाथ पूर्ण करते हैं।

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