मुनि अजित सागर महाराज ने किया नवनिर्मित आचार्य विद्यासागर गौशाला का अवलोकन
सुदर्शन टुडे गंजबासौदा (नितीश श्रीवास्तव) //
भगवान के नाम अनेक हैं, पर भगवान एक है।
दीपक अनेक हैं, पर प्रकाश एक है। फूल अनेक हैं, पर सुवास एक है। स्तुतियां अनेक हैं, परमात्मा एक ही हैं।
श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के सातवें दिन आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि अजित सागर जी महाराज ने बताया कि भगवान की स्तुतियां गुणों की अपेक्षा से अलग-अलग प्रकार से की जाती हैं।
जिस प्रकार भगवान ने घातिया कर्मों का नाश कर सिद्ध पद को प्राप्त किया, उसी प्रकार हमें भगवान की भक्ति कर राग द्वेष से दूर होकर आत्म कल्याण करना चाहिए। भगवान की दृष्टि में समग्रता है। राग-द्वेष नहीं है। जबकि यह जीव संसार में राग द्वेष सहित आया और अनंत काल से दुख पा रहा है। अब हमें भी राग-द्वेष, बुरे कार्य कम करना होगे, तभी हम भी वीतरागी बन सकते हैं।
भगवान से किया गया राग सार्थक है। संसार से किया गया राग निर्थक है। भगवान से राग करना प्रशस्त राग है और प्रशस्त राग से जीव का कल्याण होता है। जबकि संसार से किया राग दुर्गति का कारण बनता है। गाय के दूध और अकउआ के दूध में जितना अंतर होता है उतना ही अंतर संसार से राग करने और परमात्मा से राग करने में है।
मुनि श्री ने किया आचार्य विद्यासागर गौशाला का अवलोकन
आचार्य विद्यासागर गौशाला ट्रस्ट के निवेदन पर मुनि श्री अजित सागर जी महाराज गौशाला का अवलोकन एवम मार्गदर्शन हेतु पधारे। ज्ञात हो आचार्य विद्यासागर गौशाला विदिशा जिले की एकमात्र आत्मनिर्भर गौशाला है जिसमें लगभग 300 गोवंश आश्रय प्राप्त कर रहे हैं। लगभग 2 वर्ष पूर्व गौसेवा के लिये स्थापित हुई, संस्था का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है। गौशाला में स्थाई गो सेवकों के साथ-साथ प्रतिदिन गोवंश का उचित उपचार करने के लिए डॉक्टर अनुबंधित किए गए हैं।
मुनि श्री महावीर विहार से पद विहार करते हुए मेवली काँचरोद रोड स्थित गौशाला पहुंचे। जहां पूरी गौशाला का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन संचालकों को दिया। जैन समाज गंजबासौदा द्वारा संचालित इस गौशाला की व्यवस्थाओं से प्रसन्न होकर मुनि श्री ने सभी संचालकों को आशीर्वाद प्रदान किया।