हरीश भारतीय
पचोर (सुदर्शन टुडे)। श्याम सखा मित्र मण्डल पचोर के तत्वावधान में 21 फरवरी मंगलवार को आयोजित होने वाली भव्य निशान यात्रा व एक श्याम खाटू वाले के नाम भव्य भजन संध्या को लेकर विगत दिवस को नगर के राधा कृष्ण मंदिर में महिलाओं की एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में भव्य निशान यात्रा व भव्य भजन संध्या की व्यवस्थाओं एवं कार्यक्रम को भव्य बनाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान बैठक बड़ी संख्या में श्याम प्रेमी महिलाओंं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। श्याम सखा मित्र मण्डल पचोर के सदस्यों ने बताया कि 21 फरवरी मंगलवार को भव्य निशान यात्रा एवं भजन संध्या का आयोजन होगा। जिसमें भव्य निशान यात्रा बड़ा बगीचा पुरानी पचोर से सुबह 9:00 बजे प्रारंभ होकर मंडी प्रांगण पहुंचकर समापन होगा। विशाल भजन संध्या शाम 7:30 बजे मंडी प्रांगण में प्रारंभ होगी। इस भजन संध्या में प्रसिद्धभजन गायिका रजनी राजस्थानी जयपुर
भजनों की प्रस्तुति बाबा खाटू श्याम के एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी। उक्त कार्यक्रम के प्रति सम्पूर्ण नगर में उत्साह का माहौल है।
भगवान श्रीकृष्ण ने क्यों मांगा बर्बरीक से उनका शीश
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भीम के बेटे घटोत्कच और दैत्य मूर की बेटी मोरवी के पुत्र बर्बरीक ने घोर तपस्या की और कई दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए। उन्होंने अपनी माता से वादा किया था कि वो महाभारत के युद्ध में कमजोर पक्ष का साथ देंगे। उन्होंने कौरवों के लिए लड़ने का फैसला किया। भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक कौरवों का साथ देंगे तो पांडवों की हार तय है। ऐसे में श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दान में उसका सिर मांग लिया। बर्बरीक ने खुशी-खुशी अपना शीश दान कर दिया। बर्बरीक के इस बलिदान से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे कलयुग में उनके नाम ‘श्याम’ से पूजे जाएंगे।
खाटू श्याम जी का मैला 22 फरवरी से शुरू
प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी फाल्गुन माह में बाबा खाटू श्याम मेला 22 फरवरी से शुरू होने जा रहा है जो धुलंडी तक चलेगा। इस मैले को लक्खी मैला भी कहा जाता है। खाटू श्याम जी के इस मैले में भक्तो का जन सेलाब बहुत ही श्रद्धा से उमड़ कर बाबा के धाम में आता है। फाल्गुन माह के इस मैले को देखने के लिए सम्पूर्ण भारत से लोग आते है। इस मैले को सतरंगी या बहुरंगी मैले के नाम से भी जाना जाता है। क्योकि बहुत से भक्त होली तक यह रूककर बाबा खाटू नरेश के संग होली खेलते है। सभी श्याम प्रेमी श्रद्धापूर्वक बाबा के दर्शन करते है और दर्शन करने के बाद भजनसंध्या का कार्यक्रम होता है जिसमे अलग अलग जगहों से संगीतज्ञ और कलाकार आते है जो पूरीरात भजन कीर्तन करते है। लक्खी मैला का सबसे महत्वपूर्ण दिन ग्यारस फागुन एकादशी का होता है।
बाबा खाटू श्याम जी निशान यात्रा
बाबा खाटू श्याम के दरबार में भक्तगण हर्षोल्लाश के साथ बैंड बाजे डीजे बाजे ढोल धमाकों के साथ भजन कीर्तन एवं नाच-गाने के साथ निशान यात्रा निकलते है। कई भक्त तो खाटू नगरी से 18 KM दुरी स्थित रिंगस रेलवे जंक्शन से पैदल निशान यात्रा करते हुए बाबा की नगरी तक आते है।
बाबा खाटू श्याम जी निशान चढ़ाने का तात्पर्य
बाबा खाटू श्याम जी को निशान चढ़ाने से तात्पर्य है कि बाबा के दरबार में केसरी, लाल, नीला एवं सफेद रंग का ध्वज चढ़ाए जाते है। माना जाता है कि भगवन श्री कृष्ण को धर्म कि जय हेतु बर्बरीक (बाबा टू श्याम जी) ने अपना शीश दान दिया था। इसलिए बाबा के बलिदान के लिए उनको निशान चढ़ाए जाते है।
श्याम कुंड में डुबकी रोग मुक्त हो जाते
श्याम कुंड खाटू श्याम के मंदिर के पास बना हुआ कुंड है, कहा जाता है कि बाबा खाटू नरेश का शीश इस स्थान से निकाला था जहाँ वर्तमान में कुंड बना दिया गया है। श्याम कुंड में बाबा के दर्शन के पहले लोग स्नान करने आते है और बताया जाता है कि इस श्याम कुंड में स्नान करने से मनुष्य रोग मुक्त हो जाता है।