सुदर्शन टुडे
पौष्टिक आहारों में हल्दी के स्थान पर बच्चों के खाने व नाश्ते में स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालने वाले रंगों का किया जा रहा था उपयोग
जिम्मेदार अधिकारी कर रहे मामले में लीपापोती का प्रयास
गंजबासौदा (नितीश श्रीवास्तव) // शासन व सरकार नन्हें मुन्नों के प्रति बहुत ही संवेदनशील है। चाहे वह लड़का हो या लड़की जन्म से लेकर वह तक किस जिम्मेदारी सरकार ने गरीब तबके के बच्चों की ले रखी है। गरीब वर्ग के बच्चों के लिए प्रदेश की शिवराज सरकार की अनेक योजनाएं संचालित कर रखी है जिसमें बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, स्कूल चलें हम अभियान, कुपोषण मुक्त प्रदेश लाड़ली लक्ष्मी योजना आदि सहित अनेक लोक कल्याणकारी योजनाएं प्रदेश के नौनिहालों का भविष्य करने के लिए चलाई जा रही हैं। इन्हीं योजनाओं में से एक प्रमुख योजना नन्हे मुन्नों के लिए संचालित की जा रही है जिसमें बच्चों को पौष्टिक आहार प्राप्त हो। जिसके लिए मध्याह्न भोजन समेत आंगनवाड़ियों के छोटे छोटे बच्चों को शुद्ध व पौष्टिक आहार देने की जिम्मेदारी दी गई है। जिससे बच्चे तंदरुस्त व स्वस्थ्य रहें। लेकिन शासन की मंशा के विपरीत स्थानीय स्तर पर समूह संचालक व अधिकारी बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह नजर आ रहे हैं और निश्चिन्त होकर कोई बड़ी घटना का इंतजार करते दिख रहे हैं।
पूरा मामला यह है कि गंजबासौदा शहर में 40 आंगनवाडी केंद्र हैं। जिनमें पौष्टिक आहार प्रदान करने के लिए 4 समूह को जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन शासन व सरकार की पौष्टिक आहार की मंशा के विपरीत यह समूह संचालक बच्चों के आहार में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली मसालों में उपयोग होने वाली हल्दी की स्थान पर पीले रंग का उपयोग भोजन व नाश्ते में किया जा रहा था। यह आरोप हम नहीं स्वयं महिला बाल विकास विभाग गंजबासौदा द्वारा इन चारों समूह संचालकों को दिए गए नोटिस में कहा गया है। हद और घनाघोर लापरवाही यह है कि आँख पर पट्टी बांधे बैठे अधिकारियों को बच्चों के स्वास्थ्य की बिल्कुल चिंता नहीं स्वयं 18 अक्टूबर को जांच की और 19 अक्टूबर को नोटिस दिया और स्वीकारा कि यह कृत्य बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है, फिर भी दो माह बीतने पर अब तक समूह संचालकों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और प्राप्त जानकारी व सूत्रों के अनुसार स्थानीय व जिला महिला बाल विकास के अधिकारी पूरे मामले की लीपापोती के प्रयास में लगे हैं। अब यह समझ से परे है कि एक ओर पूरी सरकार सहित स्वयं मुख्यमंत्री महोदय बच्चों के प्रति इतने संवेदनशील रहते हैं तो वही उनके गृह जिले विदिशा के अधिकारी बच्चों के प्रति इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं ? आख़िरकार क्या कारण है कि समूह संचालकों पर आज तक कार्यवाही नहीं कि गई है? यह प्रश्न आज कल आम चर्चाओं में बना हुआ है।
विभाग द्वारा दिये गए नोटिस में ये लिखी प्रमुख बातें-
महिला बाल विकास विभाग द्वारा मानस स्व सहायता समूह अध्यक्ष, ओम शांति सहायता समूह अध्यक्ष, राशि स्व सहायता समूह अध्यक्ष, शिव साधना स्व सहायता समूह अध्यक्ष के नाम संबोधित करते हुए एक नोटिस 19 अक्टूबर 2022 को दिया गया। नोटिस विभाग द्वारा स्व सहायता समूहों के किचन सेट के औचक निरीक्षण के उपरांत की गई जांच के बाद दिया गया। जिसमें प्रमुख रुप से कहा गया कि-
◆ औचक निरीक्षण 18 अक्टूबर सुबह 9:15 पर समूह के किचन सेट पर निरीक्षण किया गया।
◆ निरीक्षण में नाश्ता, दाल, खिचड़ी गुणवत्ताहीन पाई गई।
◆ खीर में दूध की मात्रा बेहद कम थी।
◆ पौष्टिक आहार हल्दी की जगह रंगों का उपयोग किया जा रहा था जो कि बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता।
◆ निरीक्षण के दौरान पूरी वीडियोग्राफी की गई।
◆ खाना बनाने वाले व्यक्ति ने स्वयं बताया कि रंगों का उपयोग मीठी लस्सी सहित खाना व नाश्ता में किया जाता है।
◆ गुणवत्ता सुधारने के लिए समूह को पूर्व में भी पत्राचार किया गया।
◆ पत्राचार के बाद भी समूह ने नाश्ता व भोजन की गुणवत्ता में सुधार नहीं किया।
◆ यह कृत्य शासन व विभाग की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
यह नोटिस महिला बाल विकास द्वारा करीब 2 माह पूर्व 19 अक्टूबर को इन स्व सहायता समूह के अध्यक्षों को दिया गया था। लेकिन हद की बात यह है कि इतने गंभीर व संवेदनशील मामले में जिसमें विभाग ने स्वयं स्वीकारा है कि बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालने वाला कृत्य किया गया। उसके बाद भी विभाग द्वारा समूहों के संचालकों पर कोई कार्यवाही नहीं करना घनघोर लापरवाही की श्रेणी में आता है। अब विभाग इस मामले में क्यों चुप है?
क्यों कार्यवाही नहीं कर रहा है। यह बताना तो मुश्किल है लेकिन सूत्रों के अनुसार पूरे मामले में बड़ी साठगांठ के साथ कई अन्यंत्र चर्चाएं बाजार में चल रही हैं। जिसके कारण शासन सरकार व विभाग की छवि धूमिल हो रही है और सरकार की छवि पर बट्टा लग रहा है।
समूहों में अव्यवस्थाओं की भरमार –
जानकारी जुटाने के लिये मीडिया के सदस्यों द्वारा जिन शहरी क्षेत्र के केंद्रों का भ्रमण किया गया तब पाया कि समूहों द्वारा बच्चों की संख्या के अनुपात में बहुत कम मात्रा में नाश्ता व भोजन देते हैं कई केंद्रों की कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नाश्ता व भोजन बहुत ही गुणवत्ताहीन आता है। कई बार शिकायत भी की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती है।
साथ ही सूत्रों के अनुसार गंजबासौदा शहरी क्षेत्र में चलने बाले 40 केंद्रों पर 4 समूह से खाना सप्लाई होता है लेकिन हद की बात यह है कि किचिन सेट दो ही हैं इस पूरे गंभीर मामले में अधिकारियों की लापरवाही स्पष्ट नजर आती है|
इनका कहना है
सरकार बच्चों के भोजन व स्वास्थ्य के प्रति बहुत ही संवेदनशील है। बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति किसी भी प्रकार की कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी आपने पूरा मामला संज्ञान में लाया है, मैं पूरे मामले में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित प्रभारी मंत्री व सांसद महोदय को इस गम्भीर विषय से अवगत कराऊंगा।
– राकेश सिंह जादौन
जिला अध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी, विदिशा
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पूरे मामले में नोटिस देने वाले स्थानीय अधिकारी से जानकारी ली गई उन्होंने बताया कि उक्त मामले में सुधार कार्य के लिये नोटिस दिया गया है उक्त संस्थाओं द्वारा जवाब लिया गया है। सुधार कार्य हो रहा है इसलिए अभी कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है इसलिये आपको अवगत नहीं कराया।
– ब्रजेश जैन
जिला परियोजना अधिकारी
महिला बाल विकास विदिशा
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18 अक्टूबर को औचक निरीक्षण किया गया जो कमियां मिली उनके सुधार कार्य के लिए अंतिम नोटिस 19 अक्टूबर को समूह संचालकों को दिया गया है, अभी पुनः कोई शिकायत नहीं आई है।
– कोमल उपाध्याय
परियोजना अधिकारी
महिला बाल विकास
गंजबासौदा