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दमोह

सी.एस.सी.आधार में जिला प्रबंधन की चल रही लापरवाही कहीं आपरेटर के पास नहीं मशीनें है तो कहीं रजिस्टर मेंटेन नहीं है

 दमोह/हटा

आधार कार्ड भारतीयों के लिए बहुत महत्व पूर्ण पहचान कार्ड बन चुका है, आधार कार्ड वर्तमान समय में लोगों का शासकीय दस्तावेज का आधार है , भारत सरकार द्वारा इन्हें बनने के लिए सी.एस.सी.आई डी एवं शासकीय कार्यालयों में स्थान निहित कर दिया है। किन्तु कहीं कहीं सी. एस. सी. का जिला प्रबंधन इस प्रकार की कुंभकर्णी निद्रा में लीन है कि ऑपरेटर मनमाने तरीके से आधार कार्ड निर्माण कर रहे हैं साथ ही चिन्हित जगह पर ना बैठ कर कहीं भी आधार बना रहे । ऐसा ही कुछ मामला दमोह जिले से सामने आ रहा है जहां पटेरा ब्लांक में महिला बाल विकास कार्यालय में आधार कार्ड के लिए नियुक्त किए आपरेटर कैमरे के सामने स्पष्ट रूप से उधार की मशीनों से आधार कार्ड बनाते कैद हो गये जब मशीन के बारे में जानकारी मांगी तो इनका कहना था कि दमोह जिला कार्यालय में मुझे कम मशीनों मिली है, वाकी मशीनों दमोह सी .एस.सी. आफिस में है ‌ । वहीं जब रजिस्टर में हितग्राहियों की एंट्री सम्बन्ध में जानकारी पता की तो जो फॉर्मेट ऊपर से दिया गया है उस फॉर्मेट के तहत एंट्री नहीं थी , जिस कारण से हितग्राहियों का सत्यापन नहीं हो पाया । वहीं एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जहां पर एक युवती स्पष्ट रूप से सीएससी जिला प्रबंधक संदीप जैन के बारे में बता रही है कि संबंधित मशीनें जिला कार्यालय में रखी हुई है और वही से काम चल रहा है जोकि नियम विरुद्ध है , किंतु जिला प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा है जिस कारण से मनमाने तरीके से आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं एवं उक्त शासकीय दस्तावेज बनाने में बेहद बड़ी अनियमितता सामने आ रही है । सी एस सी जिला प्रबंधक संदीप जैन के छोटे भाई सचिन जैन का नाम भी बार बार वीडियो में आ रहा सचिन जैन के माध्यम से आधार केंद्र या मशीनों का वितरण किया जा रहा है ,शासन से मिली मशीनरी का दुरुपयोग विना जिला प्रशासन के मौन सहमती के संभव नहीं है, चूंकि संदीप जैन और सचिन जैन की कार्यप्रणाली शुरू से ही संदिग्ध रही है जैसे कोरोना काल में भी ई पास बनवाने हजारों रुपये लिए जाने की खबर भी अखवारों में प्रकाशित हुई थी, साथ ही डिजिटल साक्षरता अंतर्गत भी भारत शासन के ग्रामीण स्तरीय उद्यमी सी एस सी केंद्र की आई डी किसी और के नाम से थी और कार्य कोई और कर रहा था और ग्रामीणों के अंगूठे मात्र फिंगर प्रिंट स्केनर पर लगा कर उन्हें डिजिटल साक्षर बना दिया गया था बिना किसी प्रशिक्षण के इसका खुलासा भी बिगत वर्षों के अखवारों में प्रकाशन से हुआ था । यदि आधार की मसीने गांव गांव घूम कर कार्य करती रही तो आधार संबंधी कई घोटाले होने की संभावना है चूंकि एक बहुत बड़ा ग्रामीण अमला आज भी साक्षर व जागरूक नहीं है और चाहे पैसा निकलना या कोई भी कार्य आधार कार्ड से भी होता है जिसमे शासन को पूर्ण निगरानी इस प्रकार की गतिविधियों पर रखनी चाहिए थी और सी एस सी जिला प्रबंधक की वर्तमान कार्यप्रणाली की जांच आवश्यक है।

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