माचलपुर – (प्रदीप बंसल)इन दिनों सरकारी अस्पतालों की हालत काफी खस्ता हालत में है। बीते दिनों जीरापुर अस्पताल से रैफर एक प्रसुता की रास्ते में मौत का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि माचलपुर अस्पताल में पदस्थ डाक्टरों की अमानवीयता का एक और मामला सामने आया है। दरअसल माचलपुर निवासी शिवप्रसाद मालाकार की शुक्रवार रात को 10 बजे के लगभग अचानक तबीयत बिगड़ी। तबीयत बिगड़ने पर परिजन मरीज शिवप्रसाद मालाकार को शासकीय अस्पताल माचलपुर में इलाज हेतु ले गए। लेकिन माचलपुर में पदस्थ दोनों डाक्टरों भारत लाल शाक्य और
डाक्टर अमरसिंह धार्वे के आगे मरीज के परिजन गिड़गिड़ाते रहे लेकिन डाक्टर ने मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार कर हड़ताल के बहाने इलाज करने से साफ इंकार कर दिया। आनन फानन में मरीज के परिजनों द्वारा जीप की व्यवस्था कर मरीज को झालावाड़ राजस्थान ले गए लेकिन तब तक मरीज शिवप्रसाद मालाकार की मौत हो चुकी थी। मृतक शिवप्रसाद के परिजनों ने बताया कि यदि मरीज को समय पर प्राथमिक इलाज मिल जाता तो मरीज की जान बच सकती थी लेकिन एक गोली भी डाक्टरों द्वारा नहीं दी गई। आचार संहिता में हड़ताल कैसी? इन दिनों समूचे प्रदेश में लोकसभा चुनाव की वजह से आदर्श आचार संहिता लागू हैं। आचार संहिता लागू होने के दौरान कोई भी धरना प्रदर्शन,हड़ताल, ज्ञापन सौंपने सहित शासकीय कर्मचारियों की छुट्टी पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। फिर किस प्रकार माचलपुर के डाक्टर हड़ताल पर रहे ? इस मामले में जीरापुर ब्लॉक मेडिकल आफिसर मनोज गुप्ता ने बताया कि हां कल हम डाक्टरों की स्ट्राइक थी। हालांकि मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार रात 12 बजे डाक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी गई। लेकिन यह समझ से परे है कि जहां मरीजों की जिंदगी और मौत का सवाल होता है वहां डाक्टरों की ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि उन्हें हड़ताल पर रहना पड़ा वह भी नियम कायदों के विरूद्ध। डाक्टर का झूठ
माचलपुर शासकीय अस्पताल में पदस्थ डाक्टर अमरसिंह धार्वे द्वारा मरीज का इलाज करने से साफ इंकार करने के बाद परिजन मरीज को झालावाड़ राजस्थान ले गए।जब मरीज की मौत हो गई और पत्रकारों ने सवाल किया तो डाक्टर अमरसिंह धार्वे ने बताया कि मेंने मरीज को झालावाड़ रैफर किया था। आखिर एक तरफ डाक्टर का कथन है कि वे हड़ताल पर थे। दूसरी ओर कह रहे हैं कि मरीज को रैफर किया गया था।क्या मरीज को रैफर करना काम नहीं था? हालांकि डाक्टर की रैफर वाली बात को परिजनों ने साफतौर पर खारिज करते हुए बताया कि डाक्टर द्वारा कोई रैफर नहीं किया गया ।जब यहां मरीज का इलाज नहीं किया गया तो हम हमारी मर्जी और व्यवस्था से झालावाड़ गए थे।
कलेक्टर का फोन व्यस्त, एसडीएम बोली मैं दिखवाती हूं
आचार संहिता के दौरान डाक्टरों की हड़ताल पर रहने के बारे में जब राजगढ़ कलेक्टर हर्ष दिक्षित को फोन लगाया तो उनका फोन व्यस्त चल रहा था। वहीं खिलचीपुर एसडीएम अंकिता जैन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कहां का मामला है आप बताएं में दिखवाती हूं।
खिलचीपुर विधायक हजारीलाल दांगी से जब इस संदर्भ में बात की तो उन्होंने कहा की आचार संहिता लगी हुई है इस समय हड़ताल नही कर सकते अगर कोई समस्या भी थी तो भी मानवीय आधार पर मरीज का उपचार तो करना था में वरिष्ठ अधिकारियों से बात करता हु!