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बैतूल

13जी में चालान कराओ, खुलकर सट्टा चलाओ

बैतूल सुदर्शन टुडे ब्यूरो चीफ राहुल नागले

शहर में सट्टे का खेल खुलेआम हो रहा है। कहने को पुलिस सटोरियों को पकड़ रही है लेकिन शायद यह दिखावा भर है। असल खेल तो पुलिस की मिलीभगत से ही चल रहा है। अधिकारी गर्दन न पकड़ पाए इसके लिए पुलिस आइपीसी की धारा 13 जी का गजब का इस्तेमाल कर रही है। अगर ये कहें कि धारा 13 जी सटोरियों के साथ साथ पुलिस के लिए भी कवच बन गई है तो गलत नहीं होगा। पुलिस की ये कार्य गुजारियां आला अफसरों को भी पता है लेकिन कार्रवाई करने की जुर्रत कोई नहीं कर रहा है।इन दिनों शहर में पुलिस नया खेल खेल रही है। रोज किसी न किसी थाने की पुलिस सटोरियों को बंद कर रही है। लेकिन बता दें कि यह महज दिखावा है। उसी दिन सटोरिया जमानत पर छूटकर आ जाता है और शाम को फिर सट्टा लगवाता है।दरअसल धारा 13 जी जमानतीय अपराध है और आसानी से इसमें जमानत हो जाती है। जबकि नियम यह है कि अगर पुलिस घर में या किसी अड्डे पर सट्टा होते हुए पकड़े तब धारा 3/4 लगानी चाहिए। फिर सट्टा करने वाला पूरा गैंग होता है। कोई भी व्यक्ति अकेला सट्टा लाख ही नहीं सकता। लिहाजा गैंगस्टर भी लगना चाहिए। बावजूद इसके पुलिस गैंगस्टर नहीं लगाती।खाईवालों के चक्रव्यूह में लोग इस कदर फंस चुके हैं की इससे उबर नहींं पा रहे हैं। नगर में एक दो नही बल्कि चार खाईवाल लंबे समय से सट्टा संचालित कर रहे हैं। लेकिन बड़े खाईवाल को ना पकड़ते हुए उनके एजेंटों पर कार्रवाई करती है सूत्र बताते हैं कि पुलिस और खाईवालों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार नगर सहित आस पास के अंचल में पुरी तरह से चरम पर है। खाईवालों ने भी गांव व नगर में अपना-अपना जोन बंटा हुआ है। एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता है।

 

राजनीतिक पहुंच पुलिस की सांठगांठ

 

सूत्र बताते हैं कि बैतूल शहर में राजनैतिक पहुंच और पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार को बाकायदा लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुले आम शहर में संचालित हो रहा है। पुलिस और खाईवालों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये खाईवाल अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक-एक प्रकरण बनवा देते हैं। ऊपर बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है। जबकि वास्तव में ये सांठगांठ का एक पहलू होता है। सवाल ये है कि जब पुलिस हर महीने सटोरियों के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर उनसे पूछताछ कर खाईवालों तक क्यों नहीं पहुंच पाती। सूत्र बताते हैं कि पुलिस का हाल तो यह है कि खुद थाना प्रभारी सट्टा खरीवाल से कहते हैं कि 13 जी में अपना चालान करा लो। फिर अपना काम करते रहना। जिससे कि अधिकारी पूछे तो यह कह सके कि- सर अभी पिछले दिनों तो पकड़कर बंद किया था।

कानून की कमजोरी का उठाते हैं फायदा

गैंबलिंग एक्ट की धारा 13 जमानतीय अपराध है। शर्त लगाकर जुआ और सट्टा खेलने वालों का इस धारा के तहत चालान किया जाता है। जबकि घर में सट्टा करवाने या जुए का अड्डा चलाने पर 3/4 के तहत चालान होता है। जमानतीय अपराध होने के कारण सटोरिये आसानी से अदालत से छूट जाते हैं।

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