यूथ अपडेट दमोह
दमोह कहते है बच्चे भगवान का रूप होते हैं। उन देवी रूपी तीन बेटियों से तो शायद भगवान ही रुठ गए है। बचपन में ही अपने मां बाप को खो चुकी यह तीनों बेटियों ने अपने मां-बाप की सूरत तक नहीं देखी, यह अपनी दादी के पास रहकर जीवन यापन कर रही थी, दादी का भी इनके सर से साया उठ गया।
तो वही मानवता को शर्मसार करने वाले लोग भी ऐसे बच्चों से फायदा उठाने से आवाज नहीं आई कि उनकी जमीन जगह छीनकर उन्हें दरवाजा भटकने को मजबूर कर दिया। जिसके बाद यह बच्चियां आज से तीन वर्ष पहले दादी के गुजर जाने के बाद यह तीनों बच्चियां, अपने तीन अलग-अलग रिश्तेदारों के पास रहती है।
यह दर्द भरी दास्तां दमोह जिले के हिंडोरिया की है, जहां के परसू पटेल की मृत्यु आज से लगभग दस-बारह वर्ष पूर्व हो गई है, जिसकी 6 पुत्रियाँ है। जिसमें सपना पटैल, भानबाई पटेल, शारदा पटेल, तीनों पुत्रियों का विवाह हो गया है, एवं 3 पुत्रियां, अर्चना पटेल, मोहनी पटैल, गुमता पटैल नाबालिग है, जो कि अपनी दादी प्रेमरानी पटैले के साथ हिण्डोरिया वार्ड नं. 15 बड़ीरौर में रहती थी। कि दादी की मृत्यु भी लगभग 3 वर्ष पहले हो गई, अब यह तीनों बहनें अपनी तीन अलग-अलग रिश्तेदारों के यहां रहकर जीवन यापन कर रही।
बच्ची गुमता का कहना है कि वह अपनी दोनों छोटी बहनों को पढ़ा लिखा कर काबिल बनना चाहती है, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकती उसके पास ना तो अपने पिता की कोई जमीन जगह है, और ना ही वह इस काबिल है कि वह कोई मजदूरी करके अपनी बहनों को पढ़ लिख सके, वह खुद पथरिया विधानसभा के ग्राम बौतराई में अपने नाना के यहां रहकर जीवन यापन कर रही है। तो उसकी एक बहन पथरिया के ग्राम बांसा कला में मोहिनी मौसी के यहां, तो दूसरी मामा के यहां रहती है।
तो कभी-कभार यह बहिनें अपनी तीनों बड़ी बहनों के यहां भी रहने के चली जाती हैं।
वह चाहती है कि प्रशासन इसकी मदद करें और उसकी जो दोनों छोटी बहनें पढ़ लिखकर कुछ बन सकें, ताकि उन्हें किसी के ऊपर निर्भर न रहना पड़े।
बुआ ने हथिया ली बच्चियों के हक की जमीन
दादी की मृत्यु हो जाने के बाद, इन तीनों बच्चियों के पालन-पोषण करने की जिम्मेदारी बुआ किरण पटैल जुम्मेदारी ले ली थी लेकिन उक्त बच्चियों को लगभग 2 माह रखने के बाद घर से निकाल दिया है। एवं उक्त बच्चियों का जेबर गहना, बर्तन एवं अन्य सामग्री ले ली एवं इन बच्चियों के पिता के हक की जमीन भी किसी और को दे दी है। गुमता बताती है कि वह जमीन हम छह बहनों के नाम है जिसकी किसान सम्मन निधि की राशि हमारे खाते में आती है, लेकिन जमीन किसको दे दी यह आज तक पता नहीं ना ही वह कुछ बताती हैं। जमीन के कागज़ाद भी हुआ के पास हैं और वह हमें नहीं देती।
इनका कहना है-
आप जानकारी भेज दें मैं पता करवाता हूं, जो कुछ भी संभव मदद हो सकेगी वह दिलवाई जाएगी।
आर. एल.बागरी, एसडीएम दमोह