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किन्नरों ने गाए बधाई गीत: पालकी में मां बिजासन 8 घंटे में वापस मंदिर पहुंचीं 

पचास हजार से अधिक भक्तजन शामिल हुए मातारानी की पालकी यात्रा में।

पवन पाटीदार सारंगपुर—माघ पूर्णिमा पर शनिवार रात किन्नरों के बधाई गीतों के बीच श्रद्धालुओं ने प्रसिद्ध शक्तिपीठ भैंसवा माता मंदिर से मां बिजासन माता की पालकी निकाली।माता की पालकी उठाने के पहले राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार गौतम टेटवाल, जनपद पंचायत अध्यक्ष देवनारायण नागर, तहसीलदार मनोज शर्मा, सुरेश सिंह,पटवारी राधेश्याम भिलाला,आत्माराम वर्मा जनप्रतिनिधियो सहित श्रद्धालुओं ने मां बिजासन की विशेष पूजन कर मां की पालकी डोली को राज्य मंत्री गौतम टेटवाल, जनपद पंचायत अध्यक्ष देवनारायण नागर ,माता पूजारीयो के साथ श्रद्धालूओ ने कंधे पर पालकी डोली निकाली यात्रा में जिले सहित विभिन्न प्रांत से हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। भैसवामाता पहाड़ी पर शक्ति पीठ बीजासन के दरबार से पूर्णिमा के अवसर पर माता की पालकी निकाली जाती है।

देवास रियासत के ताम्रपात्र के अनुसार 12वीं शताब्दी से माता की पालकी निकाली जा रही है। पहाड़ी के मुख्य मंदिर से माता बिजासन भक्तों के हाल जानने व आशीर्वाद देने पालकी में सवार होकर निकलीं। श्रद्धालूओ ने माता के जयकारों, आतिशबाजी, ढोल-नगाड़े के बीच डोली उठाई। करीब 8 घंटे के सफर में दो किमी की परिधि में अपने तेरह पड़ावों पर विश्राम कराकर गांव में पूजा के बाद देर रात पालकी मंदिर पहुंची।

आकर्षण का केंद्र होता है किन्नरों का नृत्य

पालकी यात्रा में राजगढ़, झालावाड़ सहित अन्य क्षेत्रों से आए किन्नरों का नृत्य रियासतकाल से आकर्षण का केंद्र रहता है। माता की डोली के दर्शन के साथ श्रद्धालु इन किन्नरों से आशीर्वाद प्राप्त करने को भी आतुर रहे। किन्नर गुरु को मंदिर रियासत से मिला था किन्नर गुरु रुपाली ने बताया कि यह मंदिर हमारे गुरु को रियासत से मिला था। हम कहीं भी हों इस दिन माता के दरबार में जरूर आते हैं। किन्नरों ने माता की डोली में अरदास लगाई।

मशालों से रोशनी की

बिजासन माता की पालकी यात्रा मशालों की रोशनी में प्रमुख मार्गों से निकाली गई। मशालों की रोशनी में भक्त नाचते-गाते चल रहे थे।

आपद नामक ध्वज पताका से बाधा रहती है दूर

डोली के साथ ही आपदा गिर नामक एक झंडा साथ रहता है। मान्यता है कि जब से डोली निकलना प्रारंभ हुई होगी जब से ही मंदिर में रखा हुआ। यहां आपदा गिर नामक ध्वज पताका डोली के साथ चलती है, जिससे डोली वाले दिन और डोली निकलते समय कोई भी आधा बाधाएं प्राकृतिक संकट दूर रहते हैं। माना जाता है कि उक्त ध्वज पताका का डोली के साथ होना ही सब संकटों को दूर करता है।

कड़ी सुरक्षा के बीच निकली यात्रा

डोली यात्रा की सुरक्षा के लिए एसडीएम संजय उपाध्याय , तहसीलदार मनोज शर्मा के नेतृत्व में एसडीओपी अरविंद सिंह सारंगपुर थाना प्रभारी संतोष वाघेला,लीमाचौहान थाना प्रभारी अनिल राहोरिया, तलेन थाना प्रभारी रामवीर परिहार, लीमाचौहान थाना प्रभारी अनिल राहोरिया सहित तीनों थाने के पुलिस बल व जिले से प्राप्त अतिरिक्त पुलिस बल द्वारा चाक चौबंद व्यवस्था की गई थी।

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