पचोर (हरीश भारतीय) सुदर्शन टुडे।
स्थानीय शास्त्री स्मृति विद्या मंदिर हा.से. स्कूल में बसंत पंचमी पर्व अत्यंत हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। उत्सव का शुभारंभ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण कर सरस्वती वंदना के साथ किया गया। शिक्षक परिवार के साथ छात्र-छात्राओं द्वारा माँ सरस्वती का पूजन-अर्चन किया गया। बसंत पंचमी और माँ सरस्वती के प्राकट्य उत्सव पर प्रकाश डालते हुए विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक यशवंत सिंह गुर्जर ने कहा कि माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। वसंत ऋतु में प्रकृति में परिवर्तन होने लग जाते हैं। आम की डालियाँ बोरों से लद जाती है, पेड़ों में नए पत्ते आ जाते है ,खेतों में फसल पककर तैयार हो जाती है, सरसों में पीले फूल खिल उठते हैं, सारी प्रकृति मनमोहक लगती है। वसंत ऋतु को ‘ऋतुराज‘ अर्थात् ‘ऋतुओं का राजा‘ भी कहा जाता है क्योंकि प्रकृति का यह दृश्य मनमोहक होता है। साथ ही आज ही के दिन ब्रह्मा जी के मुख से मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। मां सरस्वती ज्ञान, संगीत और कला की देवी मानी जाती है । आज ही के दिन बच्चों का विद्यालय में विद्यारंभ संस्कार कराया जाता है और बच्चा पहला वर्ण सीखता है। आज के दिन स्कूलों में प्रवेश कराने पर बच्चे कुशाग्र बुद्धि के होते हैं। कार्यक्रम समापन पर माँ सरस्वती के प्रसाद के रूप में मिठाई वितरित की गई।