Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

बर्षो से न भूमि पर काविज आदिवासियों की जमीन वन विभाग की तिरछी नजर

सुदर्शन टुडे बमोंरी/गुना

बिना पूर्व सूचना के वन विभाग का फोर्स सहरिया समाज को बेदखल करने पहुंचा आदिवासियों में भय व्याप्त समाजिक जन संगठन एकता परिषद ने जताई नाराजगी

गुना जिले के बमोरी ब्लॉक के ग्राम नोनेरा के मजरा टोला ग्राम एकतापुरा में 60 परिवार सहरिया समाज के निवास करते हैं ग्राम के शोभाराम, दिलीप, रामचारण घासीबाई ने बताया कि बर्षो से हमारे पूर्वजों के समय से कब्जा हे। जिस जमीन पर हम लोग छोटी-मोटी खेती करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।और हमारे पास वन विभाग द्वारा जारी वर्ष 2004 का वन विभाग द्वारा नोटिस भी दिया गया है । हम लोगों द्वारा पट्टे के लिए आवेदन भी शासन प्रशासन को दिया जा चुका है। इसके बाद भी दिनांक 30 नवंबर को दोपहर 3 बजे आचनक वन विभाग की फोर्स मौके आ गया है और हमें बेदखल करने की धमकीं विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों दी जाने लगी साथी वन अमले ने कहा कि दो चार दिन में अपना सामान लेकर चले जाना नहीं तों हम लोग दुबारा फिर आयेंगे और तूमरी झोपड़ियों में आग लग देंगे और सम्मान जब्त कर ले जाएंगे इस मामले की खबर मिलते ही गरीब सहरिया आदिवासियों की बीच में काम करने वाली समाजिक जन संगठन एकता परिषद जिला इकाई गुना के कार्यकताओं ने ग्राम वासियों के साथ चर्चा की गई तों ग्रामवासियों ने अपनी आपबीती सुनाई गई ग्रामीणों से चर्चा करते हुए एकता परिषद जिला संयोजक सूरज सहरिया ने कहा कि वन अधिकार मान्यता अधिनियम कानून में लिखा गया है कि यदि वन विभाग द्वारा जारी नोटिस दिनांक 13 दिसंबर 2005 को नोटिस दिया गया है तों इन्हें वन अधिकार अधिनियम कानून 2006,2007 के तहत पट्टे दिए जाने का कानून हैं। आगे चर्चा करते हुए कार्यकता नंदकिशोर राजाराम भारत सिंह ने कहां की बमोरी क्षेत्र में बाड़े जातियों के लोगों द्वारा हजारों बीघा जमीन वन भूमि पर कब्जा किया हुआ है और खेती की जा रही है इन लोगों को क्या बेदखल नहीं करते हैं केवल गरीब सहरिया आदिवासियों को ही क्यों बेदखल करते हैं यदि ऐसा हुआ तो हमें समस्त ग्रामवासियों के साथ मिलकर जिला मुख्यालय पर शान्तिपूण धरना प्रदर्शन किया जाएगा। तो भाई गुना जिला मुख्यालय के आसपास के वन विभाग के क्षेत्र में सैकड़ो बीघा जमीन पर धनाढ्य एवं बलशाली लोगों ने कब्जा कर रखा है परंतु बन अमले की नजर इन लोगों पर नहीं जाती है चाहे तो म्याना वन परी क्षेत्र की बात करें या फिर चिंता हरण से लेकर गादेर सू गेट तक फिर क्यों ना आरोन एवं राधोगढ़ वन परीक्षित की बात करें सभी जगह पर हजारों बीघा जमीन पर जो की वन विभाग की बेस्ट कीमती जमीन है जिस पर बलशाली धनाढ्य एवं राजनीतिक पकड़ वालों ने कब्जा कर रखा है परंतु वन हमले की एवं वन विभाग के आला अधिकारियों की नजर इन पर कभी नहीं जाती है जब भी मौका आता है तो इन वन विभाग के अधिकारियों को केवल सहरिया आदिवासी एवं भील भिलाल एवं कमजोर लोगों की जमीन पर अतिक्रमण नजर आता है और इन पर अपने कानून का डंडा चलाने के लिए अग्रसर रहते हैं यदि यही वन विभाग ईमानदारी से जिले भर के अंदर हजारों बीघा वन विभाग की बसें कीमती जमीन पर किए गए राजनीतिक संरक्षकों बाहुबलियों एवं दमंगों पर कार्रवाई करे तो समझ में आएगा फिलहाल तो वन विभाग की टेढ़ी नजर आदिवासियों और गरीबों की जमीनों पर दिखाई दे रहा है वहीं वन विभाग की इस कार्य वासी आदिवासियों में बका वातावरण व्याप्त हुआ है वही आदिवासी संगठन एकता परिषद ने वन विभाग के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी भी दी हे।

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