सुदर्शन टुडे लुकमान खत्री की रिपोर्ट
खरगोन जिले के कसरावद की महावीर काॅलोनी में रहने वाले वेटेनरी सर्जन डॉ. टी.आर. यादव की माताजी अनु बाई यादव लगभग 105 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी हैं। खास बात यह है कि इस उम्र में भी वे अच्छे से चल फिर लेती हैं। निरोगी काया के चलते उनका खान-पान आज भी अच्छा है। आश्चर्य की बात है कि इतनी बड़ी उम्र में भी वे बिना चश्मे के अच्छे से देख लेती हैं। यहां तक कि छोटे- मोटे सिलाई तुरपाई के काम वे अपने हाथों ही निबटा लेती हैं। उनकी इस सेहत का राज़ पूछने पर वे बताती हैं कि उनके जमाने में खान-पान आज की तुलना में काफी शुद्ध था और उसी अनुपात में महिलाएं श्रम भी करती थीं।
मूलतः कसरावद तहसील क्षेत्र के ग्राम गौल की रहने वाली अनु बाई के तीन बेटे, चार बेटियां, आठ नाती- पोते से भरा-पूरा परिवार है। अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर उनसे बातचीत में पता चला कि वे अपने गौल गांव की आज सबसे वयोवृद्ध महिला हैं। अपने दोनों बेटों से मिलने जब कभी वे गांव जाती है तो उनसे मिलने सारा गांव एकत्रित हो जाता है। अनु बाई के पोते मनोज यादव बताते हैं कि उनकी दादी की याद्दाश्त काफी अच्छी है। वे आज भी बरसों पुरानी बातें काफी शिद्दत से बताती हैं। मनोज यादव ने बताया कि उनकी दादी काफी संजीदा हैं और उनमें आज भी जीने की अदम्य इच्छा शक्ति है। यादव के अनुसार दादी के होने से घर में काफी रौनक है। उनके साये में बच्चों की परवरिश भी अच्छे से हो जाती है। वे चलती फिरती लाइब्रेरी हैं। उनके अनुभव से आज पूरा परिवार लाभान्वित हो रहा है। मनोज यादव कहते हैं जिस घर में बड़े बुजुर्ग हों उस घर की बात ही अलग है। घर में उनकी सेवा होते देखकर बच्चों में भी सेवा-सुश्रुषा के गुण जागृत होते हैं और वे संस्कारवान बन रहे हैं। कभी-कभार बीमार पड़ने पर लंबे समय से उनका इलाज करते आ रहे फैमिली डाॅक्टर जितेन्द्र यादव ने बताया कि दादी जी की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी अच्छी है कि वे नाममात्र की दवाई गोली से ही स्वस्थ हो जाती हैं।