मंडला ब्यूरो, नारायणगंज
नारायणगंज जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली डूब क्षेत्रों की पंचायतों में धुंधले बिलों को पोर्टल पर अपलोड करना आम बात हो गई है , पंचायत के कर्मचारी द्वारा हजारों के बिलों को धुंधला कर के अपलोड कर आम जनता को भ्रमित किया जा रहा है, परंतु जनपद प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है भ्रष्टाचार छिपाने का प्रयास, आखिर कब तक जिले की जनपद पंचायत नारायणगंज अंतर्गत डूब क्षेत्रों की पंचायतों में पंचायत दर्पण के बिल को पूरी तरह धुंधला देखा गया है, कोई भी व्यक्ति पंचायत दर्पण के बिलों का अनुमान नहीं लगा सकता है,सचिव जानबूझ कर धुंधला बिल लगाते है, जिससे किस फर्म में किस सामग्री का बिल लगा है पता न चल पाये,सूत्रों की माने तो ग्रामवासी अगर सचिव से पूछते हैं कि किस सामग्री का बिल लगा है तो सचिव जवाब देते है नेट से निकाल लीजिये, जब पंचायत दर्पण पर लोग बाग देखने पहुंचते है तो वहां बिल ही धुंधला मिलता है, कुल मिलाकर भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए यह खेल खेला जाता है
आला अधिकारी मौन क्यों , क्या है मिलीभगत
प्रशासन को चुनौती देते हुये डूब क्षेत्रों की ग्राम पंचायतें धुंधला बिल लगाती हैं , धुंधले बिल से यह जाहिर नहीं हो पाता है, कि बिल सही लगा है या गलत आखिर उपर बैठे उच्चाधिकारी इसको रोक क्यों नहीं पा रहे हैं, यह भी एक बडा सवाल है , कि कहीं उच्चाधिकारियों की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है, शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन रहते हैं, उपर बैठे अधिकारी पंचायतों के कर्मचारियों के काले कारनामों या धुंधले बिल की कभी जांच तक नहीं करते है,कुल मिलाकर कार्यवाही न होना अधिकारियों के कमीशन की तरफ इशारा करता है
बिलों में हो रही हजारों की हेरा फेरी, जिम्मेदार है मौन
पंचायतों में लगने वाले बिलों में हजारों रुपए की हेरा फेरी की जा रही है परंतु जिला पंचायत प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं है , जिला पंचायत के प्रशासनिक अधिकारी ग्राम पंचायतों में सिर्फ नाम मात्र की जांच का हवाला देकर चुप्पी साध लेते हैं