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DAMOH

प्रदेश का कर्मचारी परेशान

जिला ब्यूरो राहुल गुप्ता दमोह

दमोह। म0प्र0लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के प्रान्ताध्यक्ष राकेश सिंह हजारी द्वारा म.प्र.शासन् पर आरोप लगाया गया है, कि वर्तमान में शासन् म.प्र.के कर्मचारियों के प्रति किसी भी तरह से सजग नहीं दिखाई दे रहीं है, मंहगाई भत्ता की किश्त समय सीमा में नहीं दी जा रही है, छैःमाह से अधिक समय व्यतीत हो जाने पर कर्मचारियों द्वारा गुहार लगाये जाने के बाद ही मंहगाई भत्ता की किश्त जारी की जाती है, एरियर्स की राशि नहीं दी जा रही है, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है, प्रत्येक माह प्रदेश का शासकीय कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहा है, और ऐसे में समय पर मंहगाई भत्ता नहीं दिया जाना उसके साथ एवं परिवार के साथ छलावा किया जा रहा है, जब म.प्र.शासन् मंहगाई भत्ता की किश्त जारी करता है और छैः माह का एरियर्स पर कोई ध्यान नहीं देता है, तब प्रदेश कर्मचारी संघ के कुछ नेतागण प्रदेश शासन् को धन्यवाद ज्ञापित करता है, ऐसे कर्मचारी नेता म.प्र.शासन के पिट्टू बने हुये है और प्रदेश शासन् का मनोबल बढ़ा रहें है, प्रदेश के ऐसे कर्मचारी नेताओं से सावधान होकर उनका विरोध किया जाना आवश्यक है, चूकिं अपने ही कुछ नेता म.प्र.शासन् की चाटुकारिता के कारण ही प्रदेश के कर्मचारियों का आर्थिक नुकसान पहॅंुचा रहे है । म.प्र.शासन्् ने यह मंशा बना ली है कि समय पर मंहगाई भत्ता नहीं देने पर प्रदेश का कर्मचारी इसी में लगा रहेगा, कोई अन्य मांग पर ध्यान नहीं दे पायेगा, ऐसी मानसिकता म.प्र.शासन् बना रखी है, प्रदेश में अनुकम्पा नियुक्तियों में शर्ते लगाई जा रही है, जिससे अनुकम्पा जैसे शब्द का अर्थ ही खत्म हो गया है, प्रदेश के हजारों परिवारों के नियुक्ति प्रकरण आज लंबित पडे़ हुये है, और जो नियुक्ति कर रहें है उन्हें शर्तो के तहत सेवा से मुक्त किये जाने जैसे कदम उठा रहा है, जिससे उनके परिवार आज दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो रहा है, उनके परिवार के प्रति आज किसी भी जिम्मेवार शासन्/प्रशासन् द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, म.प्र.लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ की 41 वर्षो से चली आ रही वेतन विसंगति सापेक्षा बहाल नहीं की जा रही है, इस संबंध में शासन् को ज्ञापन एवं आन्दोलन,हड़ताल करने के बाद भी मात्र आश्वासन देकर हमें गुमराह कर कुचला जा रहा है, संघ द्वारा मान.उच्च न्यायालय की शरण में जाने पर न्यायालय के निर्देशों का पालन भी म.प्र.शासन् नहीं कर रही है, न्यायालय में गलत टिप्पणी दी जा रही है, किन्तु म.प्र.शासन् प्रदेश के लिपिकों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है, पूर्व में प्रदेश में लिपिकों द्वारा उठाई गई वेतन विसंगति आन्दोलन में जहां लिपिकों की संख्या लाखों में थी, आज अपनी लड़ाई लड़ते लड़ते हजारों में आ चुकी है, किन्तु कर्मचारियों को आज दिनांक तक मांग पूर्ति नहीं की गई, वर्तमान समय में कर्मचारियों का धैर्य टूटने का इंतजार यह शासन् कर रही है, और हमें पुनः आन्दोलन करने के लिये बाध्य किया जा रहा है, संघ नहीं चाहता है कि हमें आन्दोलन जैसे कदम उठाये किन्तु म.प्र.शासन् हमें मजबूर कर रहा है, हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है, यदि समय रहते हमारी 41 वर्ष पुरानी मांग एवं अनुकम्पा नियुक्ति की शर्तो को शिथिल नहीं किया गया तो, बहुत जल्द लिपिक संघ आन्दोलन की राह पकड़ेगा, तब जाकर शासन् का ध्यान इस संघ पर आयेगा ऐसी हमारी सोच प्रतीत हो रही है। संघ नहीं चाहता कि हमें आन्दोलन जैसे कदम उठाना पड़े।

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