बदनावर। जिस प्रकार हम सुख में खुश रहते हैं। उसी प्रकार हमें दुख में भी प्रसन्न मुद्रा में ही रहना चाहिए। सुख दुख आते जाते रहते है। मन मे कभी निराशा का भाव न रखे। भगवान से सच्चे मन से प्रेम करें। भगवान की भक्ति जो भी सच्चे मन से करता है। भगवान उसके लिए हमेशा तैयार रहते हैं। भगवान की चौखट हमेशा खुली रहती है। जब भी भक्तों पर विपदा आती है। उसे दूर करने के लिए भगवान खड़े रहते हैं। किसी भी जीव आत्मा के प्रति कोई द्वेष भेदभाव ना करें। सभी के साथ समानता का भाव रखें। अपना व पराया का पर्दा ना डालें। मन मे जब तक तेरा मेरा का भाव खत्म नहीं होगा, तब तक भगवान से सच्चा प्रेम नहीं होगा। जिस दिन आप मोह माया अपना पराया छोड़ दोगे उस दिन प्रभु से सच्चा प्रेम हो जाएगा। यह बात यहां प्राचीन बैजनाथ महादेव मंदिर परिसर में चल रही शिव महापुराण कथा में कथा वाचक पंडित मनीष पाराशर शास्त्री ने प्रवचन में कही। उन्होंने संत नामदेव के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान हर जगह दिखते हैं। बस मन में श्रद्धा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब संत नामदेव की कुटिया जल रही थी और लोग पानी डालकर आग बुझाने में लगे हुए थे, तब संत नामदेव को अग्नि में प्रभु के दर्शन हुए तब उन्हें न तो कुटिया में आग लगने का न तो कोई कष्ट हुआ ओर न दुख। वे खड़े खड़े प्रभु के दर्शन करते रहे।
शास्त्री ने कथा में कहा कि मां ही बच्चों को संस्कार और धर्म के बारे में सिखा सकती है। सबसे बड़ा गुरु मां ही होती है। संतान को धर्म के प्रति लाना है तो बाल्यअवस्था से ही उसे धर्म से जोड़ो। अब धीरे धीरे धर्म के प्रति, शास्त्रों के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ रहा है। जिसे देखकर हमें भी अच्छा लग रहा है। बच्चों को हमारे सनातन धर्म के बारे में जानकारी देना हमारा कर्तव्य है। ताकि हमारी युवा पीढ़ी हमारे धर्म शास्त्रों के बारे में पूरी तरह से अवगत रहे। आज कथा के मुख्य यजमान स्नेहलता ज्वाला सोलंकी थे। कथा के पहले पार्थिव शिवलिंग अभिषेक भी यहां प्रतिदिन हो रहा है। जिसके आज के यजमान भगवती अनोखीलाल चावला, किरण धर्मेंद्र गांधी, कृष्णा वर्मा, राधा अंकित शर्मा, आशा जितेंद्र पवार, शंकुबाई मांगीलाल माली, आनंदी ठाकुर, पूनम कोमल रजक ने अभिषेक का लाभ लिया। आज कथा का दूसरा दिन है। आज भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने के लिए मौजूद थे।