सुमतिमुनि मसा ने कहा धर्म के प्रति राग और अनुराग होना श्रेष्ठ है
बदनावर। सभी कर्मों का क्षय हो जाना याने की मोक्ष है। जीव का चारों गति में आना-जाना चलता रहता है, लेकिन मोक्ष में जाने के बाद जीव का आना जाना बंद हो जाता है।यह बात आज यहां जैन स्थानक भवन में सुमतिमुनि मसा ने धर्म सभा में प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि गति में मति मिली हुई हो तो इरिया समिति मिल जाती है, और समिति का पालन करना साधु का धर्म है। और जो क्रिया हम कर रहे हैं यदि उस क्रिया में यदि विवेक हो तो उस क्रिया से राग छूट जाता है। इसलिए धर्म के प्रति राग और अनुराग श्रेष्ठ है और धर्म के प्रति प्रेम और अनुराग होना ही चाहिए। उन्होंने बताया कि नियम हमारे जीवन को सुधार सकते है, सुधार होगा तो निश्चित जीव का उद्धार होगा और जिस कार्य में हम स्वधीन होते हैं। सिद्धी उसी से मिलती है।धर्मसभा को सुंदरमुनि मसा ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इंद्रियों का सदुपयोग करें तो बुढ़ापा सुधर जाएगा और दुरुपयोग किया तो बुढ़ापा बिगड़ जाएगा। इंद्रियां यदि स्वस्थ है तो धर्म साधना कर लेना चाहिए और मिले मनुष्य भाव को सार्थक करें।
धर्मसभा का संचालन संघ सचिव सुरेश गांधी ने किया। आतिथ्य सत्कार का लाभ अशोक कुमार अभिनीत संघवी परिवार ने लिया। आभार संघ अध्यक्ष श्रीपाल नाहर ने माना। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका उपस्थित थे।