रायसेन। जिला सहकारी बैंक रायसेन के चुनाव एक बार फिर चल सकते हैं ।साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की वजह से सहकारी बैंकों के चुनाव डालने की प्रक्रिया बनने लगी है। वहीं बैंकों में प्रशासक बनने के लिए भाजपा नेता नेता भी जोर लगा रहे हैं ।अगर सूत्रों की माने तो पार्टी विधानसभा चुनाव तक सहकारी बैंक में अपने खास व्यक्तियों को पार्टी जल्द बैठा सकती है।
गौरतलब है कि रायसेन केंद्रीय सहकारी बैंक मर्यादित की जिले में कॉपरेटिव बैंक की संख्या 20 से अधिक है।वहीं उससे1143 कृषक सेवा सहकारी समिति और प्राथमिक साख समितियां संचालित है। इनमें से अधिकांश समितियों का कार्यकाल 2 साल पूर्ण हो चुका है चुनाव की प्रक्रिया लंबित होने की वजह से इन सोसाइटी ओ में सहकारिता विभाग रायसेन ने अपने विभाग के अधिकारियों को बतौर प्रशासक के रूप में नियुक्त किया है वही बैंक में शासन की ओर से प्रशासक कलेक्टर को जिम्मेदारी दी गई है। ग्राम पंचायत चुनाव के बाद सहकारी बैंक के चुनाव कराए जाने की सुगबुगाहट शुरू हुई थी लेकिन विभागीय सूत्रों की मानें तो हम इस चुनाव कराए जाने के लिए लगभग 6 से 7 माह का समय लगेगा।2023 में होने वाले मिशन विधानसभा के चुनाव होने की वजह से अब बैंकों को चुनाव 2024 तक डाले जा सकते हैं।
वर्ष 2018 से लटके हुए हैं चुनाव…..
जिला कोऑपरेटिव बैंक के चुनाव 2018 में होने थे ।लेकिन सत्ता के उलटफेर होने की वजह से चुनाव टलते गए। बीते 23 माह पूर्व सहकारिता के चुनाव कराने के लिए सहकारी विभाग ने समितियों से प्रस्ताव मांगा था। लेकिन यह चुनाव की तैयारियां धरी की धरी रह गई अब मध्य प्रदेश सरकार विधानसभा चुनाव 2023 के बफोकस में जुट गई है।
बाबू और प्यून बने प्रबंधक…..एक प्रशासक के पास 5 से 6 प्रभार
सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त पुष्पेंद्र तो सिंह कुशवाह ने बताया कि सोसाइटी ओ में कर्मचारियों की कमी बनी हुई है जिससे ट्यून और बाबू को भी समिति प्रबंधक बनाया गया है एक प्रशासक के पास 5 से 6 सोसाइटियों का प्रभार है। वजह से भी परेशानी हो रही है जिसके चलते 50 फ़ीसदी स्टाफ सबके साथ जिले में सहकारी बैंक और कृषक सेवा समितियां संचालित हो रही हैं ।रेग्युलर
स्टाफ की कमी वजह से भृत्य और बाबुओं को समितियों का चार्ज दिया गया है।वहीं सहकारी बैंकों में तृतीय वर्ग कर्मचारियों को प्रभार सौंपा गया है।