1. रुद्राभिषेक कराने से ग्रह दोष, रोग, कष्ट, पाप मिटते हैं।
2. यदि आप संकट में घिरे हैं, भय ने आपको जकड़ रखा है, तो भी रुद्राभिषेक कराने से उनका समाधान होता है।
3. धन, संपत्ति, वैभव, सुख आदि की प्राप्ति के लिए भी रुद्राभिषेक कराते हैं।
4. शत्रुओं पर विजय पानी हो या फिर अकाल मृत्यु का भय होता है, तब भी रुद्राभिषेक कराने से लाभ मिलता है।
5. कार्यों में सफलता, यश और कीर्ति की प्राप्ति के लिए भी रुद्राभिषेक कराते हैं।
6. रुद्राभिषेक कराने से मानसिक और शारीरिक दुखों से भी मुक्ति प्रदान करते हैं भगवान शिव।
आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे हैं उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए इसका उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। वहीं से उद्धृत कर हम आपको यहां जानकारी दे रहे हैं-
– यदि वर्षा चाहते हैं तो जल से रुद्राभिषेक करें।
– रोग और दुःख से छुटकारा चाहते हैं तो कुशा जल से अभिषेक करना चाहिए।
– मकान, वाहन या पशु आदि की इच्छा है तो दही से अभिषेक करें।
– लक्ष्मी प्राप्ति और कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें।
– धन में वृद्धि के लिए जल में शहद डालकर अभिषेक करें।
– मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ से लाये गये जल से अभिषेक करें।
– बीमारी को नष्ट करने के लिए जल में इत्र मिला कर अभिषेक करें।
– पुत्र प्राप्ति, रोग शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए गाय के दुग्ध से अभिषेक करें।
– ज्वर ठीक करने के लिए गंगाजल से अभिषेक करें।
– सद्बुद्धि और ज्ञानवर्धन के लिए दुग्ध में चीनी मिलाकर अभिषेक करें।
– वंश वृद्धि के लिए घी से अभिषेक करना चाहिए।
– शत्रु नाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें।
– पापों से मुक्ति चाहते हैं तो शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करें।
कहाँ करना चाहिए रुद्राभिषेक-
– यदि किसी मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक करेंगे तो बहुत उत्तम रहेगा।
– किसी ज्योतिर्लिंग पर रुद्राभिषेक का अवसर मिल जाए तो इससे अच्छी कोई बात नहीं।
– नदी किनारे या किसी पर्वत पर स्थित मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना सबसे ज्यादा फलदायी है।
– कोई ऐसा मंदिर जहां गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित हो वहां पर रुद्राभिषेक करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
– घर में भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
– शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि रुद्राभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए। तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक वर्जित होता है।