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‘जग सिर मोर बनाए भारत’ की ध्येयता के साथ सरस्वती शिशु मंदिर राष्ट्र निर्माता के रूप में विद्यार्थियों को गढ़ता है। -अखिलेश मिश्रा संगठन मंत्री विद्या भारती मालवा प्रांत,,,,,

भौरासा,,, टोंकखुर्द निप्र,,,सरस्वती शिशु मंदिर देवली में सरस्वती शिशु मंदिर के पूर्व छात्रों का समागम हुआ। जिसमें टोंकखुर्द क्षेत्र के हजारों पूर्व विद्यार्थियों एवं अनुसांगिक संगठन के लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम प्रस्तावित सरस्वती शिशु मंदिर के नवीन भवन के माधव परिसर में रखा गया। जिसमें ग्राम भारती शिक्षा समिति के सचिव जिला देवास विष्णुप्रसाद आर्य ने कार्यक्रम की भूमिका को रखा और कहा कि हमने पूर्व छात्र के लगभग 4000 से अधिक परिवारों से सीधा संपर्क कर इस समागम में आने के लिए आमंत्रित किया। वहीं ग्रामीण एवं देश-विदेश में रहने वाले अनेक प्रतिभावान छात्रों ने शिशु मंदिर के माध्यम से मिली सफलता को ‘सफल विद्यार्थी की कहानी, अपनी जुबानी’ के माध्यम से कहा की किस प्रकार में शिशु मंदिर की शिक्षा से अपने जीवन में सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचे। वही आर्य ने कहा, सभी छात्र-छात्राओं की भावनुभूति देश और समाज को हमेशा प्राप्त होती रहती है, वहीं शिशु मंदिर का छात्र देश के लिए अक्षय नित प्रार्थना करता रहता है। वही शिशु मंदिर का आचार्य भी अपनी भूमिका में चाणक्य के रूप में कार्य करता है और नित्य नए सामाजिक कार्यकर्ता को गढ़ता है।

वही कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिलेश मिश्रा संगठन मंत्री विद्या भारती मालवा प्रांत ने भी अपने उद्बोधन में समागम के हजारों विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए नव राष्ट्र निर्माण की भूमिका को समझाया और कहा कि गुरु ही विद्यार्थी को आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। गुरु ही परमार्थ के लिए कार्यकर्ता है। गुरु ही शिष्य को समाज मे सम्मान प्राप्त करने के योग्य बनाता है। सरस्वती शिशु मंदिर समाज के लिए लक्ष्य लेकर चलता है की किस प्रकार का छात्र का सामाजिक जीवन होगा। शिशु मंदिर देशभक्ति से ओतप्रोत शिक्षा देता है और यही शिशु मंदिर का मूल उद्देश्य है। शिशु मंदिर का छात्र समाज के लिए जीता है और इसीलिए इन छात्रों की झलक समाज में अलग होती है। वहीं उन्होंने शिशु मंदिर के शिक्षकों के बारे में कहा कि शिशु मंदिर का आचार्य परिवार सामान्य परिवार से आता है परन्तु वह भी देश और समाज के लिए राष्ट्र निर्माता की भूमिका निभाता है। वहीं उन्होंने शिशु मंदिर के पूर्व छात्र संगठन को दुनिया का सबसे बड़ा पूर्व छात्र संगठन बताया, और कहां की यह पूर्व छात्र का संगठन 8 लाख से अधिक का हो गया है जिसे अपना गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में अपना पंजीयन कराया है। वहीं उन्होंने आगे कहा कि आज देश के अंदर जो परिवर्तन दिखाई दे रहा है, समाज के अंदर जीवन मूल्य मैं परिवर्तन आ रहा है। भारत माता की जय जयकार कर रहे हैं वह मोन तपस्वी रूपी सरस्वती शिशु मंदिर के कारण परिवर्तन आ रहा है। वहीं उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर के छात्रों के बारे में कहा कि यह पूर्व छात्र समाज के प्रति संवेदना और आत्मीयता अधिक रखते हैं। संपूर्ण देश में परिवर्तन का आधार सरस्वती शिशु मंदिर के योगदान से हुआ है।
आगे उन्होंने अपना उद्बोधन में कहा कि राम राज्य का पुनर्जागरण से आज अयोध्या दुनिया के केंद्र में आ गया है। भारतीय समाज तैयार है भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए। सरस्वती शिशु मंदिर का लक्ष्य जगसिर मोर बनाना है जिसमें विद्यार्थियों के महत्वपूर्ण भूमिका है हमारा उद्देश्य अच्छे इंसान बनना है अच्छे मनुष्य को गड़ना है और यही शिशु मंदिर का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पूर्व छात्र देशभक्ति की ओतप्रोत भावना से देश के लिए ब्रांड बने हुए हैं, समाज निर्माण की संकल्पना लेकर यह चलते हैं। वही सरस्वती शिशु मंदिर का भवन समाज के सहयोग से ही बनते हैं, समाज से ही देवालयों एवं मंदिरों का निर्माण होता है। इसी तरह सरस्वती शिशु मंदिर भी शिक्षा का मंदिर है। इसलिए सरस्वती शिशु मंदिर के विद्यार्थियों में भक्ति का भाव और समर्पण से विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण करता है। हम ‘जग सिर मोर बनाए भारत’ का ध्येय लेकर साथ आगे बड़े।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम भारती कोषाध्यक्ष गुरुचरण वर्मा ने की। वही विशेष अतिथि सोनकच्छ क्षेत्र के विधायक डॉ. राजेश सोनकर, आशीष पटेल सहायक पुलिस आयुक्त इंदौर, त्रिलोक तिलोरे ग्राम भारती प्रांत प्रमुख, प्रांतीय सचिव सौभाग सिंह ठाकुर, जिला प्रमुख जसपाल सिंह सेंधव, जिला प्रचारक राहुल भोमें, तहसील प्रमुख ज्ञानेंद्र सिंह जादोन, जिला पंचायत सदस्य विजेंद्र पटेल, कन्हैयालाल विश्वकर्मा, कौशल्या सोलंकी, महेश मंडलोई, अर्जुन पटेल, सुरेश पटेल, अरविंद भंडारी, मनीष पटेल, गजराज पटेल, मनीष मुकाती सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन क्रमिक रूप से कुशाल सिंह सोलंकी एवं देवकरण नागर ने किया वहीं अंत में आभार सरस्वती शिशु मंदिर देवली के प्राचार्य मानसिंह पटेल ने माना।

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