सुदर्शन टुडे ज़िला ब्यूरो चीफ रिमशा खान
सिरोंज। मदन मोहन सरकार के दरबार में निर्जला एकादशी मनाई गई। निर्जला एकादषी की मनोकामनापूर्ण आरती में भक्तों ने अर्जी लगाई। वही मंदिर के प्रधान पुजारी पं नवनीत शर्मा ने बताया कि निर्जला एकादशी विशेष एकादशियों में से एक है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. इसे एकादशी को भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भक्तजन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प करते हैं और अगले दिन सूर्याेदय तक व्रत का पालन करते हैं. ऐसा करने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है और घर में यश, वैभव और सुख आता है. ऐसे में बता दें कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के साथ-साथ एकादशी की आरती करनी भी जरूरी होती है। वृषभ और मिथुन की संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी आती है, उसका नाम निर्जला है। तुम उस एकादशी का व्रत करो। इस एकादशी के व्रत में स्नान और आचमन के सिवा जल वर्जित है। आचमन में छरू मासे से अधिक जल नहीं होना चाहिए अन्यथा वह मद्यपान के सदृश हो जाता है। इस दिन भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि भोजन करने से व्रत नष्ट हो जाता है। एकादशी को सूर्याेदय से लेकर द्वादशी के सूर्याेदय तक जल ग्रहण न करे तो उसे सारी एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है। द्वादशी को सूर्याेदय से पहले उठकर स्नान आदि करके ब्राह्मणों का दान आदि देना चाहिए। इसके पश्चात भूखे और सत्पात्र ब्राह्मण को भोजन कराकर फिर आप भोजन कर लेना चाहिए। इसका फल पूरे एक वर्ष की संपूर्ण एकादशियों के बराबर होता है। इस अवसर पर सरकार को ,खिचड़ी, रबड़ी, मगध,केसर पेड़े,फलाहारी नमकीन, सिंघाडे की नुकक्ति, पंचमेवा, फल एवं तांबुल का भोग लगाया गया।