मंडला से सुदर्शन टुडे न्यूज जिला ब्यूरो चीफ हीरा सिंह उइके की रिपोर्ट
मंडला:- कहते है इंसान के बुढ़ापे में इंसान की ओलादें सेवा करते है एक किस्मत की मारी माँ को ये भी नसीब नही हुआ न जीते जी ओलादें काम आई न मरने के बाद,जीते जी गुमनामी की जिंदगी जी और मरने के बाद एक माँ को उसके अपने का न हाथ लग सका। नैनपुर नागरिक मंच ने जीते जी इस गुमनाम माँ की जो मदद हो की और मरने के बाद भी सम्मान उसे अंतिम विदाई देकर मानवीय संवेदनाओं मूल्यों के सरोकार को जिंदा रखा। नैनपुर पुलिस थाना के सामने अस्थाई तौर पर सड़क पर मुफलिसी और बेबसी के साथ गुमनानी का जीवन जीने वाली माता राम का नाम भी कोई नही जानता था कोई ग्राम खेराजी थाना केवलारी का कोई मुरली टोला नैनपुर का बता रहा था। 22अप्रैल को समाजसेवी व पत्रकार दीपक शर्मा द्वारा सिविल अस्पताल नैनपुर में उक्त माता राम को महिला बाथरुम में गिरने के बाद खबर आने पर भर्ती कराया था। पूरे एक माह बाद माता राम ने अंतिम साँस ली। परिजन की खोज खबर ली पर पता नही चला तो थाना प्रभारी श्री जनक सिंह रावत को सूचना देकर माता राम का अंतिम संस्कार कर दिया गया। पूर्व थाना प्रभारी श्री आर एम दुबे के मदद की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान थाना प्रभारी श्री जनक सिंह रावत ने जेसीबी उपलब्ध कराई। नगर पालिका के मैदानी कर्मचारी ने मदद की कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भी आगे आए। नगर में अभी और भी उम्र दराज माता राम है जो सड़क किनारे जीवन जी रहे है उनको समाज की मुख्य धारा में शामिल करने की जरूरत है। कहते है बुढापे को किसी सहारे की जरूरत होती है मगर बेघर बेसहारे उन उम्र दराज जन की लचारगी की कहानी बयां करती इस माँ को मरने के बाद भी वारिस नही मिला। एक बड़ी टीस लिए उम्र दराज माँ तो चली गई पर अपने पीछे बहुत से सवाल समाज के सामने छोड़ गई। सरकारी कवायदे कितनी सजीदगी होती है ये उदाहरण एक उम्र दराज माँ की मौत बता गया। हर मदद जब जिला प्रशासन ही करेगा तो स्थानीय प्रशासन की नगर में जरूरत ही क्या है जो मानवीय मूल्यों की छाप न जनता के बीच छोड़ पाए।