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MANDLA

तमाम प्रशासनिक दावों और जिले की ही पी.एच.ई. मंत्री होने के बाद भी बूंद बूंद पानी के लिए तरसता आदिवासी बाहुल्य गांव

इस क्षेत्र में शत-प्रतिशत आदिवासियों का है रहवास

कुदई टोला के दो सौ परिवारों में वर्षों से मची बूंद-बूंद पानी की त्राहि-त्राहि

 

सुदर्शन टुडे न्यूज जिला ब्यूरो चीफ हीरा सिंह उइके की रिपोर्ट

 

मंडला। जिले के जनपद पंचायत मंडला अंतर्गत ग्राम पंचायत जंतीपुर के कुदई टोला के लगभग दो सौ आदिवासी परिवारों में बूंद बूंद पानी के लिए वर्षों से त्राहि-त्राहि मची हुई है। ग्रामीणों को अन्य निस्तार के लिए तो दूर पीने के लिए शुद्ध पानी भी पर्याप्त लंबे समय से नहीं मिल पा रहा है।अनगिनत बार गुहार लगाये जाने के बाद भी शासन-प्रशासन ने अब तक इस क्षेत्र में पानी के इंतजाम के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया है। जो सचमुच में तमाम बड़े-बड़े वादों और दावों के लिए विचारणीय है। जगह-जगह लगाई जा रही नल-जल योजना का तो यहां पर अता-पता ही नहीं है।

 

समुदाय वार्ता की टीम से पी.डी.खैरवार और सहजान परस्ते के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार टीम के द्वारा 3 अप्रैल 2024 को जंतीपुर क्षेत्र का भ्रमण किया गया ।भ्रमण के दौरान टीम जंतीपुर के पोषक गांव कुदई टोला पहुंची। जहां पर समस्याग्रस्त ग्रामीणों की बैठक वार्ड क्रमांक 18 में चल रही थी। बैठक में सामिल ग्रामीणों से बातचीत करने पर बताया गया,कि जिला मुख्यालय से लगी हुई ग्रामपंचायत जंतीपुर का पोषक गांव हमारा कुदई टोला है। जहां के वार्ड नंबर 18 से 21 तक पीने के पानी का इंतजाम बरसों से नहीं हो सक रहा है। ग्राम पंचायत के द्वारा दो साल पहले पाइपलाइन बिछाकर घर-घर नल कनेक्शन लगा तो दिये गये हैं,पर पानी आज तक घर-घर नहीं पहुंचाया जा सका है। जबकि इसी क्षेत्र में लोहे के स्टेंड बनाकर प्लास्टिक की दो टंकियां रख दी गई हैं। जंतीपुर खिरखा के पास भी कांक्रीट की एक बड़ी टंकी लगी हुई है। जहां से भी पानी कुदई टोला तक नहीं पहुंचाया जा रहा है।कुदई टोला क्षेत्र में सिर्फ दो ही हैंडपंप ऐसे हैं, जिनमें पानी उपलब्ध तो है,परंतु लगभग 200 परिवारों वाले इस क्षेत्र के लिए यह दो हैंड पंप नाकाफी पड़ते हैं।ज्यादा देर चलाने पर पानी के साथ मिट्टी का गर्दा निकलने लगता है।जिसको ही छानकर पीने के उपयोग में लाना मजबूरी रहती है। यहां पर पानी भरने के लिए ग्रामीण महिला पुरुषों की भीड़ की लाइन सुबह से ही लग जाती है। कई बार तो देर से पहुंचने वाले ग्रामीणों को बिना पानी लिए ही वापस हो जाना पड़ता है। कुएं भी सूखे पड़े हुए हैं।गांव में और भी हैंड पंप ऐसी जगहों पर लगाए गए हैं जहां पर पानी का स्तर ही नहीं है। ग्रामीणों ने यह भी बताया, कि वर्तमान में भी दो बोर स्वीकृत किये जाने की सुगबुगाहट चल रही है।इनको भी जलस्तर विहीन क्षेत्रों में लगाये जाने की तैयारी की आशंका है।जबकि वार्ड क्रमांक 18 की रहने वाली प्रेमा बाई बोरिंग और टंकी निर्माण के लिए जगह देने को तैयार है। ग्रामीणों का कहना है, कि उनके द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पी. एच. ई.,जनपद पंचायत ,ग्राम पंचायत एवं कलेक्टर के पास कई बार मौखिक और लिखित में आवेदन निवेदन कर-करके थक से चुके हैं। बावजूद इसके उनके आवेदन-निवेदन पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दे रही है।

हाल ही में ग्रामीणों ने कलेक्टर के पास भी पहुंचकर इस बात की लिखित सूचना देकर पानी की मांग की है, कलेक्टर के द्वारा भी तत्काल पहल करने पर 2 और 3 अप्रैल को कुछ घरों में अधिकतम 5 से 10 मिनट नाममात्र के लिए पानी की सप्लाई हो पाई है।अधिकांश घरों में पानी का एक बूंद भी नहीं पहुंच सका है।

इस क्षेत्र में घर-घर शौचालय निर्माण कर सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना की खानापूर्ति कर तो दी गई है,पर पीने के लिए ही पर्याप्त पानी नहीं मिल पाने के कारण प्रायः सभी शौचालय अनुपयोगी पड़े कच्चे पक्के घरों की शोभा बढ़ाते शासन की महत्वपूर्ण योजना को भी कोस रहे हैं। पीने के लिए पानी नहीं होने के कारण ग्रामीणों को तरह-तरह की बीमारियां घेरने की भी आशंकाएं हैं। ग्रामीणों के चेहरों में चमक की भी कमी बनी रहती है।इस गांव में लोग अपनी बेटी ब्याहने को तैयार नहीं होते हैं।पानी की कमी वाले गांवों के लोग ही रिश्तेदारी कर पाते हैं। जब पीने का ही जुगाड़ नहीं तो सिंचाई करने के लिए पानी की उम्मीद करना ही बेमानी होगी।ग्राम पंचायत सरपंच से इस विषय में बात करने पर पानी पहुंचाने काम चलना हमेशा से बताया जाता है।

यह समझ में नहीं आता कि काम कब से और कहां पर चल रहा है।आगे कब तक चलता रहेगा भविष्य के गर्भ में है। इस क्षेत्र को भविष्य में पीने का पानी पर्याप्त मिल पायेगा या नहीं। ग्रामीण इस गंभीर समस्या से इतने त्रस्त हो चुके हैं,कि अब आवेदन-निवेदन से काम नहीं चल रहा है,जिला प्रशासन का घेराव करने की मजबूरी है।

पीने के पानी की इस गंभीर समस्या के समाधान को लेकर समुदाय वार्ता की टीम के द्वारा कलेक्टर मंडला को 3 अप्रैल को ईमेल से पत्र-व्यवहार भी किया गया है।अब देखते हैं,कि पानी के लिए जरूरत से ज्यादा चिंतित जिला प्रशासन कब तक पुख्ता इंतजाम कर सकता है।

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