सुदर्शन टुडे राहुल गुप्ता
जैसे जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा है वैसे ही राजनेताओं के कर्तव्यपरायण चमचे नित्य पैदा हो जायेगे। 2024 का चुनाव जीतते ही इन चमचों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने लगेगी। कुछेक को नौकरियां तो किसी को सरकारी ठेकों से नवाज़ा जायेगा। चाटुकार और चापलूसों का वैसे भी यह जन्मसिद्ध अधिकार है।राजनीति में आजकल नेताओं के चमचों का बोलबाला है। पढ़ना लिखना भले ही आता न हो किंतु इनकी चाल तो एकदम मदमस्त हाथी की तरह होती है। व्यक्तिपूजा का भाव इनके चेहरे पर सूर्य की रोशनी तरह चमकता है। पहले ये लोग अपने काम के जरिए पार्टी में अपनी जगह बनाते थे, अब नेता जी की चाटुकारिता के जरिए जगह बनाने लगे है। बल्कि उनकी झूठी तारीफ भी करते भी नही थकते। चमचागिरी करना भी एक कला है जो हर किसी के बस की बात नही। सत्ता के गलियारों में हर जगह आपको अब नित्य नए नए चमचे देखने को मिलेंगे। जो हर जगह अपने नेताजी की हाँ में हाँ मिलाते जायेगे। चुनाव के बाद अगर आपको कोई सही काम भी करवाना है तो चमचों से ही सीधा सम्पर्क साधना पड़ेगा वरना ये नेताभक्ति में लगे चमचे आपकी पकी-पकाई खिचड़ी में कंकर मिलाने का काम करेंगे।
राजनीतिक व्यंग्य-
धीरज चतुर्वेदी
(शिक्षाविद)