सुदर्शन टुडे डिंडोरी
– भ्रष्टाचार के दलदल में आंकठ डूबे उपयंत्री सुबोध साकरे का कारनामा
– मेहंदवानी जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत सुखलोड़ी में मनरेगा योजना के निर्माण कार्यो में जमकर भ्रष्टाचार
डिंडौरी। रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर बड़े पैमाने पर पद और अधिकार का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार किए जाने का मामला सामने आया है। जिले में दशकों से पदस्थ उपयंत्री सुबोध साकरे के काले कारनामों की यूँ तो लम्बी फेहरिस्त हैं लेकिन फिलहाल इनके मनमानी और भ्रष्टाचार की बानगी देखनी हैं तो मेहंदवानी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत सुखलोड़ी में देखा जा सकता है।
वित्तीय वर्ष 2023 -24 में ग्राम पंचायत सुखलोड़ी द्वारा मनरेगा योजना के तहत कराये गए पुलिया निर्माण में बड़े पैमाने पर घटिया निर्माण फर्जीवाड़ा करते हुए शाशन को पलीता लगाने का प्रयास किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी धन का बंदरबाट करने के दूषित मानसिकता के चलते उपयंत्री सुबोध साकरे के द्वारा अनुपयुक्त स्थलों में बड़े संरचनाओं के स्टीमेट बनाकर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है,फिलहाल मुख्य मार्ग किनारे भर्रा टोला पहुँच मार्ग आधी मीटर के बरसाती नाले पर जरूरत से ज्यादा जबरन बीस मीटर पुलिया निर्माण कराया जा रहा हैं,जिसे देखते हुए भी उच्च तकनीकी अधिकारी अनदेखा कर रहे हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मनरेगा योजना की लूट में जिम्मेदारों की मौन सहमति हैं।
काली मिट्टी में बिछा दी बेस,जमीन स्तर से साइड वॉल का निर्माण
पुलिया निर्माण कार्य में पाइप के नीचे पूरी तरह से मिट्टी हटाने के बाद बेस बनाये जाने या हार्ड मुरुम या चट्टान होने की स्थिति में कम से कम 2 फिट खुदाई कर बेस का निर्माण कराये जाने का प्रावधान है, जिससे निर्माण का लाभ स्थनीय लोगो को लंबे समय तक मिल सके,साइड वाल निर्माण हेतु बेस के साथ ही कम से कम डेढ़ मीटर खुदाई कर जमीन के अंदर से विंग वॉल का निर्माण कार्य कराया जाना चाहिए है, यह जानकारी वरिष्ठ तकनीकी अधिकारियों के द्वारा दी गई हैं। लेकिन सुखलोड़ी में मुख्य मार्ग किनारे कराए जा रहे पुलिया निर्माण कार्य में लीपापोती कर स्वार्थ सिद्ध किये जाने हेतु निर्माण एजेंसी सह ठेकेदार उपयंत्री सुबोध साकरे मनमानी पर उतारू है। बनते ही जर्जर हो रहे निर्माण कार्य
निर्माण कार्यो में तकनीकी मानकों को दरकिनार कर मापपुस्तिका में प्राक्कलन के अनुसार कार्य दर्ज करा स्वीकृत राशि का आहरण कर लिया जाता है,वही निर्माण कार्य बनते ही जर्जर हो जाते हैं,निर्माण एजेंसी के साथ मिलीभगत कर उपयंत्री मोटी कमाई कर गायब हो जाते हैं, जिसको लेकर किसी की जवाबदेही तय नहीं किया जाता जिससे निर्माण कार्यो में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार चरम पर है।इनका कहना है,,,
इस तरह से निर्माण कार्य कराया जाना गलत है, सहायक यंत्री से जाँच करवाता हूँ।
अरविंद बोरकर, सीईओ, जनपद पंचायत मेहंदवानी