संवाददाता रानू जावेद खान
जवेरा दमोह
जोगन कुंड धाम संचालक मनोज मिश्रा के सानधय में चल रही श्रीमद् भागवत कथा विराट रुद्र महायज्ञ कथा व्यास श्रद्धेय पण्डित हरिकिशन दुबे (कनवास वाले)ने तृतीय दिवस की कथा में भक्तो से कहा कि कलयुग में ईश्वर नाम से बढ़कर और कुछ नहीं है. ईश्वर का नाम लेने से कष्टों का निवारण होता है. साथ ही हृदयरूपी कमल खिल जाता है.
भक्त के भाव को केवल ईश्वर ही समझ सकते है. इसीलिए जीव को अपना दुख संसार के समाने नहीं केवल प्रभु के सामने ही प्रकट करना चाहिए. प्रभु पालनहार है,वे शरण में आए भक्तों के दुख हर लेते है. भक्त प्रहलाद प्रसंग पर बोलते हुए आध्यात्मिक प्रवक्ता पण्डित श्री हरि किशन दुबे जी ने कहा कि भगवान का परम भक्त प्रहलाद जिसे उसके पिता हिरण्यकषिपु ने अति भयंकर कष्ट दिए,यहां तक कि प्रहलाद को हिरण्यकषिपु ने विष पिलाया, हाथी से कुचलवाया,अग्नि में जलाया,इस तरह की कई यातनाएं दी,परंतु प्रहलाद को हर जगह अपने प्रभु के दर्शन करते और उन्हें कहीं भी पीड़ा का अहसास नहीं होता उन्हें विश्वास था कि हमारे प्रभु सर्वत्र विराजमान रहते है,इसीलिए प्रभु भक्त के पूर्ण विष्वास को देखकर खंभे से प्रकट होकर यह दिखा दिया कि भक्त की इच्छा को पूर्ण करने के लिए वे कहीं भी और किसी भी रूप में प्रकट हो जाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि जिसके उपर प्रभु का हाथ हो,उसका कोई भी बालबांका नहीं कर सकता. हम सभी को अपने जीवन में भक्त प्रहलाद जैसी भक्ति करनी चाहिए,जीवन में कितना भी संकट या विपत्ति ही क्यों ना आएं,कभी भी धर्म का मार्ग और भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए. जीवन में सदैव निष्काम भाव से भक्ति करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि जीवन में जब भी बोलो,सदैव सोच समझकर बोलो और प्रेम से बोलो,हित-मित और प्रिय वचन बोलो,ऐसे वचन नहीं बोलो,जिससे किसी का अहित हो,,,