Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

भारतीय ज्ञान विज्ञान से वैश्विक महाशक्ति बनेगा भारत

 

सुदर्शन टुडे गुना

पंडित तुलसीदास दुबे शासकीय महाविद्यालय में मनाया वसंतोत्सव पर्व

सरस्वती की उपासना मनुष्य को ज्ञान विज्ञान की ओर ले जाती है । यह सहजता और शमन का पथ है जो सात्विक भावों का संवर्धन करता है । स्वस्थ, समृद्ध ,सुंदर जीवन के लिए सात्विक,राजस और तामस इन तीनों भागों का सामंजस्य और संतुलन आवश्यक है ।सरस्वती की आराधना का पर्व जीवन में रस रंग गंध बिखरने के साथ सात्विक भावों की नई कोपले उगा कर लोक यात्रा को सर्जन सील मंगलकारी बनाता है । यह सब चिंतन भारतीय ज्ञान परंपरा में ही मिलता है । समर्थ समृद्ध सार्थक भारत के निर्माण के लिए आवश्यक है भारत की शिक्षा प्रणाली भारत के दार्शनिक ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक अनुभूति से उपजी हो । शिक्षा का उद्देश्य ,नीति,पाठ्यवस्तु तथा पद्धति सब भारतीय हो । ऐसी पूर्णतः भारतीय शिक्षा पद्धति से युक्त भारतीय ज्ञान विज्ञान से ही भारत वैश्विक महाशक्ति बनेगा । इसे साकार करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी तरीके से शिक्षा संस्थानों में लागू करना होगा ।

शिक्षा के उद्देश्य को व्यक्ति केंद्रित से राष्ट्र केंद्रित करना तथा शिक्षा में जीवन मूल्यों के संस्कारों को वरीयता देना व्यावसायिक व अन्य भौतिक लक्ष्यों में भी राष्ट्रहित को ही आगे रखना शिक्षा का मूल उद्देश्य बनाना होगा । ताकि चरित्र निर्माण सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास कौशल विकास द्वारा राष्ट्र के लिए उपयोगी सुयोग्य मानव संसाधन का निर्माण हो सके ।उक्त विचार आज शासकीय महाविद्यालय मैं आयोजित सरस्वती पूजन वसंत उत्सव पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांतीय अधिकारी ,शिक्षाविद पं. तुलसीदास दुबे ने व्यक्त किए ।इसके पूर्व कार्यक्रम का प्रारंभ देवी सरस्वती के समक्ष हवन, पूजन तथा तरु राजोरिया,छाया कुशवाहा की सरस्वती वंदना के साथ हुआ । जिसमें महाविद्यालय स्टाफ तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने सहभागिता की। स्वागत उद्बोधन प्रोफेसर भीरोरिया ने दिया । भूमिका प्राचार्य प्रो.बी.के तिवारी ने रखी। सारस्वत अतिथि प्रो. सतीश चतुर्वेदी ने वसंत पर्व पर्व पर महाकवि पं. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती पर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का प्रभावी चित्रण करते हुए उन्हें राष्ट्रीय चेतना का प्रखर स्वर बताया । विशिष्ट अतिथि जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष आशीष मंगल ने कहा की ऋतुराज आगमन से ही मानव जीवन में वसंत का वास होता है । प्रकृति का संपूर्ण सौंदर्य इसी ऋतु में दिखाई देता है। आदित्य अहिरवार ने कवि निराला पर कविता सुनाई । संचालन प्रोफेसर शकुंतला प्रजापति ने किया ।आभार प्रोफेसर विकास पित्रे ने व्यक्त किया । कार्यक्रम में प्रो. निरंजन श्रोत्रिय, प्रो.विष्णु श्रीवास्तव अतुल बुधौलिया भी मंचाशीन रहे

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