Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

योगीराज में गौशाला में गोवंश के शवों की दुर्दशा

रिपोर्ट मुकेश गुप्ता

मो 7017690384

पीलीभीत के ब्लॉक बिलसंडा क्षेत्र के ग्राम पंचायत दियूरिया में ग्रामीणों की सूचना पर गौशाला पहुंची मीडिया, कर्मी एक दर्जन के करीब मृत मिले गोवंश। वही दी गई जानकारी में गौशाला के केयरटेकर ने बताया कि गौशाला के डॉक्टर ने कहा की गौशाला में मरे हुए गौवंश को बाहर खुले में डाल दो जंगली जानवर खा जाएंगे। गोवंश के शवों की इतनी बुरी दुर्दशा तो शायद समाजवादी सरकार में भी न थी जितनी दुर्दशा आज योगीराज में है। इतना ही नहीं इसके जिम्मेदार अधिकारी भी एक दूसरे को बचाने में लगे हैं और इसका ठीकरा ग्रामीणों के सिर्फ फोड़ रहे हैं।वी/ओ – ताजा मामला जंगल की सीमा से मिली हुई दियूरिया गौशाला का है। ग्रामीणों द्वारा दी गई जानकारी के बाद जब मीडिया गौशाला पहुंची तो उसने देखा कि गौशाला परिसर में 10 के करीब गोवंश मृत अवस्था खुले में पड़े हुए थे जिनमें से अधिकांश गोवंश के शवों को जंगली सियार व कुत्तों ने खाकर खोखला कर दिया था। गौशाला परिसर से जंगल मात्र दो कदम की दूरी पर स्थित है। इसी का फायदा उठाकर गौशाला में तैनात कर्मचारी मरे हुए गोवंश के शवों को जंगल की सीमा में फेंक देते हैं और जंगली जानवर गोवंश के शवों को नोच-नोच कर उनकी दुर्दशा कर डालते हैं। जबकि सरकार द्वारा गोवंश के अंतिम संस्कार के लिए धनराशि दी जाती है लेकिन वहशी उस धनराशि तक को डकार जाते हैं। यहां तक की गौशाला में घायल गोवंशों का ठीक से इलाज तक नहीं किया जाता। घायल गोवंश इलाज के अभाव में तड़पते रहते हैं और संवेदनहीन डॉक्टर निरंकुश बने रहते हैं। पीलीभीत जिले में स्थित कई गौशाला से लगातार गोवंश के शवों की दुर्दशा की खबरें आती रही है। लेकिन अभी तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जहां एक तरफ तो गाय को गौ माता का दर्जा दिया हुआ है और उसकी पूजा की जाती है वहीं दूसरी तरफ गौशाला वाले इस गाय माता के मरने के बाद उसके शवों की दुर्दशा कर डालते हैं। उनसे तो इतना भी नहीं होता कि उसका अंतिम संस्कार ठीक तरीके से कर दें।

 

जब इन मृत गोवंश के शवों की दुर्दशा के बारे में मुख्य विकास अधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि एसडीएम बीसलपुर और वीडीओ द्वारा बनाकर सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर वह कार्रवाई करते हैं और एसडीएम और वीडीओ की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया कि मरे हुए सारे गोवंश ग्रामीणों ने लाकर डाले हैं जबकि जंगल से गांव की दूरी लगभग 4 किलोमीटर और गौशाला से जंगल माता दो कदम की दूरी पर है। वहीं गौशाला केयरटेकर का कहना है कि गौशाला के डॉक्टर ने कहा था कि गौशाला में मरे हुए गौवंश को जंगल की सीमा में फेंक दो। आखिर क्यों यह अधिकारी एक दूसरे को बचाने में लगी है। जबकि गौशाला के मामले में ग्राम प्रधान, सचिव वह वीडीओ पूर्ण रूप से जिम्मेदार होते हैं।

 

बाइट – केयरटेकर, दियूरिया गौशाला।

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