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राम मंदिर पर सुदर्शन टुडे का पूर्व प्रांत संयोजक से संवाद।

देवराज चौहान सुदर्शन टुडे

तत्कालीन सरकारों ने कार सेवकों को पकड़ कर अंधेरे और सुनसान जंगलों में छोड़ा था! सोंधिया

राजगढ़। हाल ही में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है और 22 जनवरी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। पूरे देश भर के राम भक्त उत्साहित भी हैं और पूरी दुनिया की नज़रें 22 जनवरी पर टिकी हुई है।इसी तारतम्य में हम बात करते हैं ऐसे ही एक राम भक्त की जो बाल काल में ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़ गए और निरंतर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर बाल्य काल से राजगढ़ तहसील के एक छोटे से गांव गेहूं खेड़ी से निवास करने वाले देवी सिंह सोंधिया लगातार 16 वर्ष तक अपने घर परिवार माता-पिता सबसे दूर रहते हुए विश्व हिंदू परिषद के पूर्णकालीन कार्यकर्ता के रूप में विहिप के संगठन मंत्री, बजरंग दल के प्रांत संयोजक जैसे महत्वपूर्ण दायित्व पर रहे। वर्तमान में वह राजगढ़ के भाजपा जिला मंत्री हैं उनसे जब सुदर्शन टुडे की टीम ने रामलला के मंदिर को लेकर संवाद किया तो उन्होंने क्या कुछ कहा आप भी जाने।

रिपोर्टर:-क्या आप कार सेवा करने अयोध्या गए थे

उत्तर:-हां मैं अपने आप को अत्यधिक भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे 30 अक्टूबर 1990 तथा 6 दिसंबर 1992 दोनों कार सेवा में अयोध्या जाने का अवसर प्रभु श्री राम जी की कृपा से प्राप्त हुआ था।

रिपोर्टर:- 30 अक्टूबर 1990 में तो उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी फिर आप कैसे पहुंचे।

उत्तर :- 30 अक्टूबर 90 की कार सेवा के समय उत्तर प्रदेश में राम विरोधी सरकार होने के कारण कार सेवकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था लाखों राम भक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया था, कार सेवकों पर लाठियां चलाई गई, आंसू गैस के गोले छोड़े गए उन्हें बसों में भरकर रात के अंधेरे में सुनसान जंगलों में छोड़ दिया गया था फिर भी हम लोग खेतों खलिहानों से जंगल के रास्तों की पहाड़ियों से होकर अयोध्या पहुंचने में सफल हो गए थे 30 अक्टूबर 90 को लगभग 1 लाख राम भक्त अयोध्या में प्रवेश कर गए थे। यही नहीं निर्धारित समय ठीक 12:00 बजे दोपहर को 30 अक्टूबर 90 को मुलायम सिंह के घमंड को चकनाचूर करके हजारों राम भक्त बाबरी ढांचे पर चढ़ गए और तीनों गुंबज पर भगवा पताका पहरा कर ढांचे को क्षतिग्रस्त करने में सफल रहे। लेकिन मुलायम सिंह यादव ने पुलिस को आदेश देकर सैकड़ो निहत्थे राम भक्तों को गोलियों से भुनवा दिया था। अयोध्या को रक्त रंजित करने का पाप उस समय की सरकार ने किया था।रिपोर्टर 6 दिसंबर 1992 के समय अयोध्या का दृश्य कैसा था।उत्तर:- 6 दिसंबर 92 की कार सेवा में उत्तर प्रदेश से राम विरोधी सरकार है हट गई। राम भक्त कल्याण सिंह की सरकार थी। उस समय का दृश्य बिल्कुल अलग था अब अयोध्या जाने वाले कार सेवकों को पुलिस रोक नहीं रही थी। मेरे साथ 59 लोगों का जत्था था हम 2 दिसंबर की प्रातः काल ही अयोध्या पहुंच गए थे हमारे रुकने की व्यवस्था संत मणिराम छावनी में थी। अयोध्या के आसपास के जिलों से भोजन पैकेट के ट्रक आते थे,रोज स्नान आदि के लिए सरयू में रामघाट जाते थे। पूरा वातावरण राम मय था। लाखों लोग एक स्वर में जय श्री राम का गगनभेदी जय घोष करते हुए अयोध्या में विचरण करते थे। रिपोर्टर:- 6 दिसंबर के पहले बाकी चार दिनों तक आपने वहां क्या किया। उत्तर:- श्री राम जन्मभूमि से कुछ ही दूरी पर कार सेवक पुरम बना था, जहां एक विशाल मंच था उक्त मंच से रोज बड़े-बड़े संत पूज्य रामचंद्र परम हंसदास जी ,महंत अवैधानाथ जी, आचार्य गिरिराज किशोर जी, साध्वी ऋतंभरा जी, साध्वी उमा भारती जी,विहिप नेता अशोक सिंघल जी, विष्णु हरि डालमिया जी, विनय कटियार जी ,जय भान सिंह पवैया जी के अलावा भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी जी, मुरली मनोहर जोशी जी, राजमाता विजय राजे सिंधिया जी जैसे लोगों के ओजस्वी भाषण सुनते थे।रिपोर्टर:- विवादित ढांचा कैसे टूटा क्या आपने भी ढांचा तोड़ा।उत्तर:- 6 दिसंबर 1992 को 11:30 बजे एकाएक कार सेवकों का बड़ा समूह ढांचे पर टूट पड़ा और वहीं से स्थानीय लोगों से सरिया, लोहे के पाइप ,फावड़ा आदि सामान लेकर ढांचे को तोड़ना प्रारंभ कर दिया। हम लोग भी सभी के साथ ढांचा तोड़ने में लगे, देखते ही देखते मात्र 5 घंटे में ही बाबरी ढांचे को मिट्टी में मिलाकर उस स्थान पर एक चबूतरा बनाने का काम शुरू किया और पुनः रामलाल को विराजमान करने का काम हुआ यह सब 7 दिसंबर की सुबह तक पूरा हो चुका था। बाबरी ढांचे के मलवे और ईट सभी राम भक्त चुटकियों में उठा ले गए कोई भी अवशेष वहां नहीं छोड़ा। 7 दिसंबर की रात्रि को हम लोग स्पेशल ट्रेन द्वारा अपने क्षेत्र के लिए रवाना हो गए थे। रिपोर्टर:- विवादित ढांचा टूटने के बाद अयोध्या का माहौल कैसा लग रहा था।उत्तर:- पूरी अयोध्या में राम भक्त खुशियां मना रहे थे, मिठाईया बांट रहे थे, गले मिलकर एक दूसरे को बधाइयां दे रहे थे, लोग नाच रहे थे, झूम रहे थे, गा रहे थे वहां से फिर एक नया नारा दिया गया था, अयोध्या तो पहली झांकी है, मथुरा काशी अभी बाकी है।रिपोर्टर:- राम जन्मभूमि को मुक्त करने में कितने लोगों का बलिदान हुआ? उत्तर:- सन 1928 से लेकर 6 दिसंबर 1992 तक हिंदू समाज ने राम मंदिर के लिए 76 लड़ाइयां लड़ी जिसमें लगभग 3 लाख 75 हजार राम भक्तों का बलिदान हुआ 77 वी लड़ाई विहिप के बैनर तले लड़ी गई थी। रिपोर्टर:- वहा कौन से नारे लगाए गए थे जो राम भक्तों में जोश भरते थे?उत्तर:- इस पूरे आंदोलन के दौरान समय-समय पर अलग-अलग नारे लगे जो आज इतिहास बन गए हैं। जिनमें सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे।, बच्चा-बच्चा राम का जन्म भूमि के काम का।,जन्म भूमि है श्री राम लला की, बाबर की जागीर नहीं।, तेल लगाओ डाबर का, नाम मिटाओ बाबर का।, हम हिंदू 60 करोड़, ताला देंगे तोड़ मरोड़। जो बाबर की चाल चलेगा, वहा कुत्ते की मौत मरेगा।, राम ने उत्तर दक्षिण जोड़ा, भेदभाव का बंधन तोड़ा।, जिस हिंदू का खून ना खोले, खून नहीं वह पानी है, जन्मभूमि के काम ना आए, वहा बेकार जवानी है।,लाठी गोली खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे।, कौन लड़ेगा किस में दम है, राम के बेटे किसके कम हैं। जैसे विभिन्न नारों को राम भक्तों में जोश भरने के लिए जारी किए गए थे। आज हम सब की तपस्या और सौगंध पूरी हो रही है अब वह अवसर आ गया है जब हम सब रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के प्रत्यक्षदर्शी बन रहे हैं।

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