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साल का आखिरी दिन पर नहीं शुरू हो पाई उप मंडियां

 

क्या 2023 में भी शुरू नहीं हो पाएगी किसानों की उपज की खरीदी।

कृषि उपज मंडी खुजनेर के अधीन तीन उप मंडियां लंबे समय से बंध।

देवराज चौहान सुदर्शन टुडे

राजगढ़। किसान को समृद्ध बनाने के क्षेत्र में भले ही सरकारें कड़ी मशक्कत करते हुए कई योजनाओं को धरातल पर उतार रहे हैं क्षेत्र में खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है, मोहनपुरा डैम के निर्माण के बाद कालीपीठ क्षेत्र में तेजी से बंजर पड़ी जमीनों में अब किसानों ने खेती करना शुरू कर दिया है। कुछ इसी तरह का हाल पाटन रोड पर स्थित गांव का भी है, जहां ना सिर्फ बारिश में होने वाली फसलों की बोवनी की जा रही है, बल्कि रवी के सीजन में भी बोनी का रकबा बढ़ गया है। क्योंकि गांव गांव में मोहनपुरा डैम से निकली नहरे बिछाई जा रही हैं।
लेकिन जिस तरह से किसानों ने अपनी बोवनी का रकबा बढ़ाया है और फसलों की मात्रा में वृद्धि हो रही है। उस तरह से कृषि के संसाधनों में किसी तरह के कोई सुधार नहीं हो रहे। राजगढ़ जो जिला मुख्यालय है यहां बनी मंडी में सालों बाद अब खरीदी शुरू हो रही है। लेकिन यहां भी सिर्फ मक्का की ही खरीदी हो रही है। मंडी के नाम पर 6 व्यापारियों ने पंजीयन करा रखा है, लेकिन वह भी मंडी में नजर नहीं आते। बल्कि अलग-अलग स्थानों पर खुले में ही वह अपनी खरीदी कर रहे हैं। जिसके कारण कहीं ना कहीं किसानों से ओने पौने दाम पर उपज खरीद लेते हैं। जिससे किसान को नुकसान तो होता ही है, वही मंडी को भी टैक्स के रूप में मिलने वाली राशि में कहीं न कहीं हेरफेर हो जाती है। क्योंकि जितनी खरीदी खुले में की जाती है उतनी मंडी प्रबंधन को नहीं बताई जाती।

स्टाफ की कमी की पूर्ति की जरूरत-

राजगढ़ ही नहीं पूरे जिले में अब मंडी में स्टाफ बढ़ाने की जरूरत है। क्योंकि यह क्षेत्र आने वाले दिनों में कृषि को लेकर होशंगाबाद और सीहोर जैसे जिलों में गिना जाएगा। क्योंकि चारों तरफ डैम का निर्माण हो गए हैं और नहर बिछाई जा रही है जिसके कारण हर साल खेती का रकबा बढ़ रहा है। लेकिन खुजनेर मंडी के अंतर्गत आने वाली उप मंडी राजगढ़ और करेड़ी कालीपीठ में सिर्फ एक सहायक मंडी सचिव है। जबकि राजगढ़ में 5 पद स्वीकृत हैं। मंडी सचिव के रूप में खुद खुजनेर से मंडी सचिव को राजगढ़ आना पड़ता है।

यहां बन्द है खरीदी –

कालीपीठ क्षेत्र में सिंचाई का रकबा सबसे ज्यादा बढ़ रहा है। लेकिन यहां बनाई गई मंडी में ना तो कोई स्टाफ है और ना ही किसी व्यापारी द्वारा पंजीयन कराया गया है। जिसके कारण यह मंडी सालों से बंद पड़ी है। कई बार यहां जानवरों को ही देखा जाता है। जबकि करेड़ी की मंडी में तीन व्यापारियों ने अपना पंजीयन करा रखा है। लेकिन जब भी यहां खरीदी के बात आती है तो स्टाफ की कमी का हवाला देते हुए खरीदी नहीं होती। ऐसे में जो व्यापारी यहां पर हैं, वह खुले में ही अपने गोडाउन से किसानों की उपज खरीदते हैं।

बोली लगेगी तो बढ़ेगी आय , अन्य व्यापार को भी मिलेगा बढ़ावा।

मंडी में यदि व्यापारी आते हैं और किसानों की उपज खरीदते हैं और मंडी में यदि किसी भी ऊपर की बोली लगती है तो किसानों को इसका फायदा होगा। जब एक से अधिक व्यापारी वहां मौजूद रहेंगे, तो कहीं ना कहीं बोली में भी अंतर आएगा। जहां किसान को अपनी उपज का सही दाम मिलेगा वही मंडियों में लगातार खरीदी बढ़ने से वह किसानों की संख्या बढ़ने से अन्य व्यापार में भी वृद्धि होगी क्योंकि जो किसान अपनी उपज लेकर मंडियों तक पहुंचेगा वह दैनिक उपयोग के साथ ही समय के साथ जरूरत वाली सामग्री का खरीदना भी वहीं से तय करेगा जिससे जहां छोटे-मोटे दुकानदार समृद्ध होंगे वही शहरों की रौनक भी बढ़ेगी लेकिन यहां मंडी में पंजीकृत व्यापारी बोली में शामिल ही नहीं होते है जिससे कई वर्षों से लगातार उठाई आवाज 2022 के अंतिम दिन तक भी जस की तस दिखाई दे रही है।

वर्जन। पहले यहां खरीदी नहीं होती थी, लेकिन जब से में आया हूं, मैंने खुजनेर की आय को भी बढ़ाया है। पहले की तुलना में बड़ी मात्रा में खरीदी हो रही है। वही राजगढ़ की मंडी में भी खरीदी शुरू की है। जो व्यापारी यहां नहीं आ रहे उनकी भी बैठक ली है । खरीदी मंडी में आकर ही करनी होगी। जो नहीं आएंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।
रामप्रसाद राज मंडी सचिव खुजनेर

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