देवराज चौहान सुदर्शन टुडे
पैदल चल कर कावड़ यात्री लाए उज्जैन से शिप्रा का जल।
राजगढ़। सावन के महीने में शिव आराधना का बड़ा महत्व है। इस दौरान जगह-जगह कांवड़ियों की लम्बी कतारें बम बम भोले के जयकारे लगाते हुए दिखती हैं। हर साल श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवड़िए सुदूर स्थानों से आकर गंगाजल , व शिप्रा के जल से भरी कांवड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव वापस लौटते हैं। इस यात्रा को कांवड़ यात्रा बोला जाता है। श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगाजल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु कांवड़ को जमीन पर नहीं रखते हैं। कांवड़ चढ़ाने वाले लोगों को कांवड़ियां कहा जाता है। ज्यादातर कांवड़िय केसरी रंग के कपड़े पहनते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा करने से भगवान शिव सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। और जीवन के सभी संकटों को दूर करते हैं। उल्लेखनीय है कि कई वर्षों से लगातार राजगढ़ में स्थित वीर खेड़ा पति हनुमान मंदिर समिति (बड़ा पुल) लगातार कई वर्षों से राजगढ़ से उज्जैन कावड़ यात्रा निकालते हैं, इस बार भी उन्होंने इस कावड़ यात्रा को निकालते हुए सभी शिव भक्त पैदल यात्रा करते हुवे उज्जैन पहुंचे जहां से मां शिप्रा का पावन जल भरकर रविवार को वह पुनः राजगढ़ पहुंचे, आज सोमवार को राजगढ़ में प्रसिद्ध शिवालय खोयरी मंदिर पर बाबा बैजनाथ का जल अभिषेक कर नगर के अन्य मंदिरों में भी इस पावन पवित्र जल को शिव की प्रतिमा पर चढ़ाते जल अभिषेक किया जाएगा।मनकामेश्वर धाम पर हुआ स्वागत व रात्रि विश्राम।उज्जैन से कावड़ भरकर लंबी यात्रा तय करते हुए शनिवार की शाम को कावड़िए राजगढ़ से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाबा मनकामेश्वर धाम करेडी पहुंचे थे जहां समिति के सदस्यों ने कावड़ यात्रियों का भव्य स्वागत किया वह उनके भोजन के साथ ही ठहरने की उचित व्यवस्था भी की। जब सुबह कावड़ यात्रियों ने राजगढ़ के लिए प्रस्थान किया तो नगर में कई जगह उनका भव्य स्वागत भी किया गया।